अपनी खास अदा में माहिर हरदा ने दो दिवसीय बग्वाल के पहले दिन ही उत्सव को ऐसे मथा कि पूरा मक्खन पहले दिन ही निकाल लिया जबकि बाकी के लिए मट्ठा छोड़ गए अब पियो तो ठंड में जुकाम हो जाय और फेंके तो पेड़ो की जड़ो को नुकसान होने का खतरा ,
अपनी चिर परिचित अदा से हरदा ने न सिर्फ स्थानीय महिलाओ के द्वारा लाये गए टोकरी और स्थानीय शिल्प के साथ फोटी खिंचाई बल्कि नंद लाल भारती की टीम से लेकर जमकर बाजा बजाया, और 2022 के विधान सभा का रण सिंघा भी बजा दिया, इस दौरान खुद हरदा में चुटीले अंदाज में पूर्व विधायक सजवाण को भारी ढोल देकर खुद हल्का दमाऊ बजाकर दर्शको की खूब तालियां बटोरी।
गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी की पौराणिक मंगसिर बग्वाल के पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पुएव विधायक गंगोत्री विजयपाल सजवाण के साथ मिलकर ऐसा ढोल बजाया कि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के देर तक कान बजते रहे,
विकास पुरुष के संबोधन पर फिर चुटकी लेकर हरदा ने विजयपाल को होसिया बल्द बताते हुए इसका भी ध्यान रखने की अपील की । कार्यक्रम में पहाड़ी टोपी की तारीफ करते हुए हरदा ने अपनी पत्नी के लिए एक अतिरिक्त टोपी की मांग की । उन्होंने कहा कि पहाड़ की संस्कृति के संरक्षण में उन्होंने, खानपान, भेष भूसा बोली, सभी बातों का ध्यान रखा बस पहाड़ी टोपी और पुराने बर्तनों को पहिचान देने में चूक गए थे, उन्होंने कहा कि उनके प्रयासों के बाद आज भी उत्तराखंड के पास अपनी खास डिश तय नही हो सकी है।
हरदा आगे बोले कि वे अक्सर कार्यक्रमो में ढोल बजाते है जिसका मकसद खुद को खबरों में रखना नही बल्कि संस्कृतिनको खबरों में रखना है साथ ही ये भी अहसास कराना कि कला के मंच पर सभी एक समान है, कला को जब तक धारण नही करेंगे इसका संरक्षण नही होगा।
हरदा बोले संस्कृति के संरक्षण के लिए गंगा की शुध्दता और उपलब्धता जरूरी है और इन सबके लिए पेड़ जरूरी है, पेड़ के बदले धन देने की उनकी योजना को सरकार ने बंद कर दिया है। साथ ही जल संरक्षण की उनकी योजनाओं पर भी देर से अमल हुआ।
हरदा ने कहा कि जब भी धर्म के साथ राजनीति जुड़ती है तो दिक्कतें पेश आती है , उन्होंने महाभारत में कृष्ण की राजनीति को रणछोड़ दास के रूप में तो राम की राजनीति को सीता हरण के रूप में बताया।