देव भूमि उत्तराखंड में सबसे अधिक राजस्व जुटाने वाले आबकारी विभाग की मिली भगत से यहाँ की भोली भाली शांत जनता के मेहनत पर डाका डाला जा रहा है। बेरीनाग में लंबे समय से प्रिंट दाम से अधिक पर शराब बेचे जाने की शिकायत मिल रही थी किन्तु आपसी सहयोग से मामला बराबर दब रहा था, इस बार तेज तर्रार एसडीएम सौरव गहरवाल ने शराब की दुकान पर छापा मारा और प्रिंट मूल्य से अधिक डैम पर रंगे हाथों पकड़े जाने पर दुकान को सीज किया।
गिरीश गैरोला, साभार प्रदीप माहरा बेरी नाग
हालांकि आबकारी कानून में ऐसा प्राविधान है कि लंबे समय तक दुकान को बंद नही रखा जा सकता है आखिर सूबे का सबसे कमाऊ विभाग है जिससे प्रदेश का खर्च और अधिकारियों नेताओ और मंत्रियों के शान शौक पूरे होते है फिर भी एक संदेश जनता में जरूर जाता है कि उनकी भी कही सुनवाई हो रही है।
ऊपर वाले कि लाठी में आवाज नही होती, सुनवाई सबकी होती है जनाब,
उत्तराखंड का शराबी वैसे भी शराब के दाम में वृद्धि के खिलाफ कभी धरना प्रदर्शन नही करता कोई ज्ञापन नही भेजता, चुपचाप नकद भुगतान कर शराब खरीद कर देश प्रदेश की अर्थ व्यवस्था में अपना योगदान करता है, ऐसे देश प्रेमी शराबियों को राहत और सब्सिडी दिए जाने की बजाय मूल्य से अधिक दर पर शराब बेची जा रही है तो धंदे को शराबी की हाय लगनी लाजमी है।
हर धंदे का उसूल है कि ज्यादा मात्रा में खरीद पर छूट मिलती है । सड़क पर ठेली से फल ख़रीदते समय भी मोलभाव होता है कि हमेशा के ग्राहक है अथवा ज्यादा मात्रा में खरीदना है इसलिए फल विक्रेता भी उसे छूट प्रदान करता है किंतु उन्ही फ्लो के सड़ने के बाद बनी शराब के डेली के ग्राहकों के साथ ऐसी नाइंसाफी कैसे बर्दास्त होगी।
आखिर ऊपर वाला तो शराबी का भी है न उसके इंसाफ से तो डरो।