वेबिनार में कोविड के कम्युनिटी ट्रांसमिशन और हर्ड इम्युनिटी पर हुई चर्चा

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देहरादून। भारत में वर्तमान में अमेरिका और ब्राजील जैसे कई अन्य देशों की तुलना में कोविड रोगियों की मृत्यु दर कम है और रिकवरी दर अधिक है। लेकिन यहां लोगों को अभी मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बनाये रखने और हाथ की स्वच्छता को बनाए रखने और फर्श को संक्रमण मुक्त रखने जैसी बुनियादी बातों पर अमल करते रहने की जरूरत है जब तक कि कोविड का सुरक्षित और प्रभावी टीका बन नहीं जाता है और यह महामारी समाप्त नहीं हो जाती है। ऐसा एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया द्वारा कोविड केयर रू कम्युनिटी ट्रांसमिशन एंड हर्ड इम्युनिटीष् विषय पर आयोजित एक वेबिनार में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित पैनलिस्टों का कहना है।
इस चर्चा की अध्यक्षता एएचपीआई के महानिदेशक डॉ गिरधर जे ज्ञानी ने की और इसमें एएचपीआई के अध्यक्ष डॉ अलेक्जेंडर थॉमस, पुष्पांजलि मेडिकल सेंटर के एमडी डॉ विनय अग्रवाल, फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के अध्यक्ष और मेडिका ग्रूप ऑफ हास्पिटल्स के चेयरमैन डॉ आलोक रॉय, फिक्की स्वास्थ्य सेवा समिति के सलाहकार डॉ नरोत्तम पुरी, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की निदेशक प्रोफेसर डॉ सुनीला गर्ग, और अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मुख्य चिकित्साअधीक्षक डॉ संजीव सिंह जैसे वक्ता शामिल थे। एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया के महानिदेशक डॉ गिरधर जे ज्ञानी ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा “भारत कोविड से संबंधित मौत या रिकवरी दर के मामले में ब्राजील या अमेरिका जैसे देशों से बेहतर स्थिति में है। ब्राजील में 464 और अमेरिका में 492 की तुलना में भारत में प्रति 10 लाख कोविड रोगियों में केवल 30 मौतें हो रही हैं। भारत की रिकवरी दर 65 प्रतिशत हो गई है, जो अच्छी है। मृत्यु  दर भी लगातार कम हो रही है। एक समय में यहां कोविड के कारण होने वाली मृत्यु दर 3.6 प्रतिशत थी, जो अब कम होकर 2 प्रतिशत तक हो गयी है, हालांकि हम चाहते हैं कि यह 1.5 प्रतिशत तक नीचे आ जाए। ”अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, फरीदाबाद के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ संजीव सिंह ने कहारू “कोविड 19 एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है। मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की निदेशक प्रोफेसर डॉ सुनीला गर्ग ने कहा,  “पिछले एक महीने में कोविड के एपिसेंटर में बदलाव आया है, जिससे आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में इसके मामलों में सबसे अधिक वृद्धि हुई है, जबकि दिल्ली अब बहुत बेहतर स्थिति में है। यदि सामुदायिक प्रसारण होने लगता है, तो आइसोलेशन और क्वारंटीन सीमित हो जाएगा या इनकी कोई भूमिका नहीं होगी। तब समुदाय द्वारा संचालित सामाजिक परिवर्तन संक्रमण को फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे जैसे मास्क पहनना, नियमित रूप से हाथ धोना और सामाजिक दूरी बनाए रखना। एएचपीआई के अध्यक्ष डॉ अलेक्जेंडर थॉमस ने कहा, कोविड के संबंध में चीजें अभी भी विकसित हो रही हैं। कोविड मामलों और घातक मामलों की रोकथाम के लिए किसी व्यक्ति में लक्षण होने पर अस्पताल में जल्दी आना जैसे कदम शामिल हैं। ऐसे मामलों में बुजुर्गों और कोदृमार्बिडिटी पर ध्यान केंद्रित करना, मास्क पहनाना, शारीरिक दूरी बनाये रखना और सैनिटाइजेशन आवश्यक है। फिक्की, स्वास्थ्य सेवा समिति के अध्यक्ष और मेडिका ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष डॉ आलोक रॉय ने कहारू “भारत के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने पर इस महामारी का काफी प्रभाव पड़ा है। निजी अस्पताल मरीजों को सुरक्षित रखने के लिए वित्तीय कमी का सामना कर रहे हैं। हेल्थकेयर डिलीवरी क्षेत्र बेहद महंगा है और लोग इंटेंसिव हैं।
फिक्की हेल्थ सर्विसेज कमेटी के सलाहकार डॉ नरोत्तम पुरी ने कहा कि इस महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवा बुनियादी तौर पर बदलने जा रही है। इसे तेजी से एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता के रूप में देखा जा रहा है और सभी के लिए गुणवत्ता पूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवा देने के लिए नीति निर्माताओं और राजनेताओं पर जनता का बहुत दबाव होगा। कोविड ने सामाजिक दूरी की आवश्यकता के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों को भी तेज कर दिया है। इनका समग्र स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि हमारी बीमारियों का एक बड़ा हिस्सा श्वसन संक्रमण से संबंधित है, और यह निवारक सामाजिक व्यवहार ऐसे मामलों को कम करने में मदद करेगा। एक और बदलाव यह होगा कि हमारे अस्पताल कैसे काम कर रहे हैं। पुष्पांजलि मेडिकल सेंटर, नई दिल्ली के एमडी डॉ विनय अग्रवाल ने कहारू “कोविड से बचने के लिए स्वर्ण मानकों में अभी भी मास्क पहनना, सैनिटाइजेशन और सामाजिक दूरी का उचित रूप से पालन करना शामिल है, उसके बाद परीक्षण और होम आइसोलेशन जरूरी है।

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