मिशन अटल सफल -20 वर्ष का काम सिर्फ 2 महीने में:#मेरुरैबार

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उत्तरकाशी। 
मिशन अटल- निम को मिली 4 अनाम  और अनस्किल्ड पीक।
आते ही कर दिखाया कर्नल अमित बिष्ट ने ऐसा काम।
पूर्व प्रधानमंत्री के नाम पर होगा चोटियों का नाम।
गिरीश गैरोला।
उत्तराखंड पर्यटन विभाग और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के संयुक्त अभियान मिशन अटल की सफलता के  बाद 4 अनाम चोटियों  को अटल 1 अटल2 अटल3 और अटल 4 नाम दिया गया है। अमूमन 15 से 20 वर्ष में एक अनाम पीक आरोहण के इतिहास पर नया रिकॉर्ड कायम करते हुए निम के प्राचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने जॉइनिंग के दो महोने के अंदर ही चार अनाम और अनस्किलड पीक को खोज निकाला है। गौर करने वाली बात ये है कि 8 सदस्यों वाली इस टीम में 2 नई लडकिया भी शामिल है  जो पहली बार किसी एक्सपीडिसन का हिस्सा बनी है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से गौमुख  गंगोत्री हिमालय क्षेत्र की चार चोटियों का नामकरण किया गया है।  नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्रधानाचार्य के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम ने अटल अभियान के तहत चारों चोटियों पर तिरंगा फहराया। इसकी पुष्टि निम के प्रधानाचार्य कर्नल अमित बिष्ट ने की है, जो शुक्रवार की शाम को गंगोत्री से उत्तरकाशी पहुंचे।
गंगोत्री ग्लेशियर की दाहिनी ओर रक्तवन घाटी में सैफी और सुदर्शन चोटी के
निकट चार अनाम चोटियों के आरोहण के लिए 4 अक्टूबर को
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फ्लैग आफ किया था। जिसके बाद यह दल ने गंगोत्री से गोमुख होते हुए रक्तवन घाटी की ओर प्रस्थान किया था । जहां चार चोटियों के आरोहण के लिए बेस कैंप बनाया। इस आरोहण के लिए दो टीमें बनाई गई। करीब छह हजार पांच सौ मीटर ऊंचाई वाली चारों चोटियों का सफल आरोहण किया। कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने के लिए दस्तावेज इंडियन माउंटेनियरिंग
फाउंडेशन शीघ्र ही जमा किए जाएंगे। इसके साथ इस अभियान को 25 दिसंबर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म दिवस से पहले गिनीज बुक ओर लिम्का बुक में भी दर्ज कराया जाएगा।
कर्नल बिष्ट ने इसे अपने जीवन का गौरवशाली  क्षण बताते हुए कहा कि पहले ही प्रयास में बिना किसी नुकसान के 4 अनस्किलड़ पीक पर आरोहण करना बड़ी उपलब्धि है। उत्ततारखण्ड गढ़वाल हिमालय में  6500 मीटर के आसपास की पीक पर चढ़ना तकनीकी रूप से  चुनोतियो से भरा है उन्होंने कहा कि इस चुनोती के साथ ये आरोहण किसी 8000 मीटर  से अधिक ऊंचाई की पीक पर चढ़ने के समान है। उन्होंने कहा कि किसी भी एक्सपीटिसन की सफलता इस बात से आंकी जाती है कि पूरी टीम बिना किसी कोल्ड इन्जरी अथवा  बिना किसी दुर्घटना के कम समय मे अल्पाइन स्टाइल में जिसमे एक पैर हमेसा जमीन पर रहता है और एक टीम हमेसा मूव पर रहती है में कार्य पूर्ण करे।  इस आरोहण को टीम ने 15 -16 दिनों में अंजाम दिया गया।
पर्यटन विभाग की तरफ से अवधेश भट्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की पहली बार की गई पहल से उत्तराखंड की वादियों को एक्सप्लोर किया जा सकेगा। उन्होंने इसे विंटर क्लाइम्बिंग बताया क्यूंकि इस दौरान मौसम खराब होने के चलते काफी ठंडा हो गया था । उन्होंने गौमुख वैली को विश्व की सर्वश्रेस्ठ सुंदर घाटियों में एक बताया जिसके बाद पूरी दुनिया का पर्यटक इस तरफ रुझान करेगा।
एवरेस्ट विजेता उत्तरकाशी के विशेस्वर सेमवाल जो विगत 20 वर्षो से पर्वतारोहण से जुड़े है ने खुद को भाग्यशाली बताया कि निम से ट्रेनिंग लेने के बाद उनके जैसे सौकड़ों लोगो को निम के कारण आज भी रोजगार उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इसी तरह अनाम  चोटियों पर आरोहण होता रहा तो उत्ततारखण्ड में साहसिक पर्यटन की दिशा में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल होंगी।
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