पिछले 20 वर्षों से दिल्ली में एक भी उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी चिन्हित नही- पैमाना खराब है या नजर

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दिल्ली में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने किया प्रदर्शन।

कहते हैं कि दिल्ली राजधानी में एक अलग उत्तराखंड बसता है दिल्ली मुंसिपल चुनाव हो या विधानसभा के इस दौरान उत्तराखंड की महत्व इसलिए भी समझी जाती है कि उत्तराखंड के नेताओं को दिल्ली की गलियों में घूम कर अपने प्रत्याशियों के लिए वोट की मांग करनी पड़ती है। इतना सब कुछ होने के बाद भी पिछले 20 वर्षों से दिल्ली में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी आज तक चिन्हित नहीं हो सके बड़ा सवाल यह की पैमाना खराब है या नजर? सच्चाई ये भी है कि उत्तराखंड के बड़े आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर पहिचान के लिये दिल्ली के जंतर मंतर की जरूरत पड़ती है।

हरीश असवाल दिल्ली

दिल्ली- पिछले 20 वर्षों से उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद भी आज तक भी आंदोलनकारी चिन्हित ना किए जाने के विरोध में आज उत्तराखंड के पूर्व मंत्री और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति के केंद्रीय मुख्य सरक्षंक धीरेंद्र प्रताप के नेतृत्व में अनेक प्रवासी उत्तराखंडियों ने दिल्ली स्थित उत्तराखंड आवासीय आयुक्त के कार्यालय पर काले झंडे लेकर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन में मांग की कि जिन लोगों ने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण व अविस्मरणीय भूमिका निभाई है सरकार तत्काल उनके चिन्हिकरण का काम पूरा करें। धीरेंद्र प्रताप ने इस मौके पर एक ज्ञापन आयुक्त कार्यालय के अधिकारी विरेंद्र कुमार वर्मा को दिया जिसमें मांग की गई है की उत्तराखंड की तर्ज पर दिल्ली और एनसीआर के तमाम उन उत्तराखंड आंदोलनकारियों का चिन्हिकरण किया जाए जिन लोगों ने उत्तराखंड राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ।उल्लेखनीय है पिछली सरकार में जब धीरेंद्र प्रताप ,हरीश रावत के साथ मंत्री थे तो 317 प्रवासी उत्तराखंडि यों की एक लिस्ट सरकार के अधिकारियों द्वारा फाइनल की गई थी परंतु नई सरकार आने के बाद साडे 3 साल गुजर गए लेकिन एक भी दिल्ली व आसपास के प्रवासी उत्तराखंडी का चिन्हिकरण नहीं किया गया ।इन आंदोलनकारियों में जिनमें प्रमुख रूप से समिति की चिन्हित और अचिन्हित आंदोलनकारी शाखा के अध्यक्ष मनमोहन शाह और बृज मोहन सेमवाल संरक्षक अनिल पंत और प्रमुख आंदोलनकारी रणवीर पुंडीर जगदीश कुकरेती रामेश्वर गोस्वामी जगदीश रावत उमा जोशी प्रेमा धोनी ज्योति सेतिया सत्येंद्र रावत कुशाल जीना राजेंद्र रतूड़ी शिव सिंह रावत जगदीश प्रसाद थपलियाल सुभाष भट्ट लीलाधर मिश्रा,पदम सिंह बिष्ट,हरि प्रकाश आर्य,दीप सिलोड़ी ,हुकुम सिह कण्डारी ,अमित पतं समेत अनेक आंदोलनकारी शामिल थे ने इस मौके पर राज्य सरकार की उत्तराखंड आंदोलनकारियों के प्रति बेरुखी की कड़ी निंदा की है ।धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि साढे 3 साल में दो दर्जन से ज्यादा प्रदर्शन देहरादून गैरसेण और अन्य स्थानों पर हुए हैं परंतु मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत आंदोलनकारियों के लिए चुप बैठ हैं ।उन्होंने कहा कि अगर उत्तराखंड आंदोलनकारियों ने अपना अहिंसक रवैया छोड़ा और हिंसक उपायों को खोजने लगे तो इसकी सारी जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार पर होगी। उल्लेखनीय है आंदोलनकारी चिन्हिकरण आंदोलनकारी आरक्षण, आंदोलनकारी पेंशन और उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़, चमोली और रुद्रप्रयाग के लोगों को रोजगार के स्थाई उपाय दिए जाने और वहां पर बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य का वातावरण तैयार किए जाने जिससे वहां पर पलायन रुके और चीन और नेपाल द्वारा उन क्षेत्रों में अतिक्रमण रोका जा सके इस मांग को भी लेकर आज आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन दिया और उत्तराखंड के आवासीय आयुक्त के कार्यालय के बाहर 2 घंटे तक धरना दिया । आंदोलनकारी उपेक्षा से नाराज धीरेंद्र प्रताप ने ऐलान किया कि जब भी त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली आएंगे दिल्ली के आंदोलनकारी उनका घेराव करेंगे ।

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