वर्ष 2022 तक सभी को छत उपलब्ध कराने का दावा करने वाली बीजेपी सरकार के दावों को आखिर कौन पलीता लगा रहा है? क्या सरकार और नौकरशाह के बीच कोई तालमेल नहीं है ? मामला उत्तरप्रदेश के प्रयाग राज जिले के मेज तहसील का है जहा पीढ़ियों से पट्टे की जमीन पर काबिज आदिवासियों के घरों को वन विभाग की टीम ने बिना जांच पड़ताल के ही तुड़वा दिया | बताया गया कि इस भूमि पर अटल आवास का निर्माण किया जा रहा था | मामला मीडिया तक पहुचा तो किसान सभा के साथ पूर्व विधायक ने सवाल उठाए |
राजस्व विभाग के आँकड़े मे भी भूमि पर किसानों का 40 साल से अधिक पुराना कब्जा पाया गया | अब राज्यवस विभाग के कर्मचारी दबी जुबान मे कहने लगे है कि वन महकमे ने बिना सोचे समझे चार किसानों के घर तोड़ डाले है | बड़ा सवाल ये है कि इन तोड़े गए घरों की भरपाई अब कौन करेगा और कब तक ?
15 अक्टूबर को अखिल भारतीय किसान सभा AIKS यमुनापार मण्डल इलाहाबाद के मंत्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में 4 सदस्यीय टीम – सुभाष सिंह, शिवाधार सिंह, केशव प्रसाद आदिवासी एवम डॉ0 राधेश्याम सिंह के साथ ग्राम पंचायत भैया तहसील मेजा ,प्रयागराज पहुची , टीम एन बताया कि मौके पर वन दरोगा रेंज मेजा के द्वारा वगैर नोटिस दिए 29 सितम्बर 2021 को आदिवासियों के निर्माणाधीन चार कालोनीयो को गिरवा दिया गया , उस व्यक्त वन विभाग द्वारा यह कहा गया कि ये मकान वन विभाग की भूमि में है |
मौके पर जाकर 13 अक्टूबर को राजस्वनिरिक्षक ,लेखपाल ने नाप जोख की तो पता चला कि उक्त पट्टे वाली भूमि पार पिछली पीढ़ी से आदिवासी कालोनी बना कर रह रहे थे, जांच के बाद यह भूमि वन विभाग की सीमा से बाहर की पाई गई | इतना ही नहीं जांच टीम ने पाया कि मौके पर पूराने मिट्टी के मकान बने है और पीन के पानी के वर्षों पुराने कुए भी पाए गए है ।
पीड़ित कृष्ण मुरारी पटेल,रमेश कुमार से पूछने पर पता चला कि इनकी पुस्तैनी जमीन है। वन विभाग ने तोड़ फोड़ करने से पहले ग्राम प्रधान को भी सूचना देना जरूरी नहीं समझा । ग्राम प्रधान ने फोन पर बताया कि आदिवासी उस जमीन पर लगभग 40 वर्षों से रह रहे है। जी आदिवासियों की कालोनी ध्वस्त की गई नाम इस प्रकार है-
1,राजकुमारी पत्नी अंजनी आदिवासी
2-मधु पत्नी सूरज आदिवासी
3-राम काली पत्नी पप्पू आदिवासी
4-गेंद देवी बेवा पत्नी स्व0 हीरा आदिवासी