कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने शिक्षकों को शिक्षक दिवस पर वर्चुअल क्लास के माध्यम से संबोधन के खिलाफ अपने आवास पर एक दिवसीय धरना दिया।
उत्तराखंड मे 2022 की सत्ता की चमक अभी से दिखाई देने लगी है और इस दिशा मे प्रयास भी सुरू हो गए है | हर दल के लोग साबुन की अलग अलग ब्रांड की टिकिया लेकर खुद की कमीज सामने वाले से ज्यादा सफ़ेद दिखाने मे जुट गए है | प्रदेश मे काँग्रेस के चार गुटो के एक सूत्र मे पिरोने के प्रयास मे असफल होने के बाद जहा पूर्व पीसीसी चीफ़ किशोर उपाध्याय वन अधिकार की टिकिया लेकर अपनी कमीज धो रहे है वही पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नेथानी शिक्षा मंत्रालय के अपने अनुभवो की गठरी से सामने वाले को धोने मे जुट गए है अब किसकी टिकिया मे कितना झाग और कितना मैल निकलता है ये जनता को तय करना है | हर खास मौके पर जनत के सामने फ़ेस बूक live के साथ हाजिर होने वाले मंत्री प्रसाद सत्ता के मंत्री द्वारा शिक्षको को वर्चुअल क्लास मे बुलाये जाने से नाराज है|
पूर्व मंत्री ने तंज़ कसते हुए कहा की शिक्षा मंत्री को मोदी से सीखना चाहिए और मन की बात करनी चाहिए या फिर फ़ेस बूक live भी कर सकते है \ शिक्षक दिवस पर अपना काम छोड़ कर शिक्षको को एक जगह बुलाकर मंत्री का ज्ञान सुनने के लिए मजबूर करने के खिलाफ बिपक्ष के मंत्री का यह अस्त्र कितना काम किया यह दो दिन मे ही पता चल जाएगा
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिक्षक दिवस पर प्रदेश के शिक्षकों को सैकड़ों की संख्या में वर्चुअल सेंटरों में बुलाकर उनको संबोधित करना कोरोना संक्रमण को न्योता देना है। साथ ही इस प्रकार से संबोधन करने का औचित्य भी क्या हो सकता है? उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षा मंत्री कोरोना काल में कोविड- 19 की गाइडलाइन के विरुद्ध कार्य कर शिक्षकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है। शिक्षा मंत्री के इस फैसले को निरस्त करने की मांग को लेकर मैं आप एक दिवसीय धरने पर बैठा हूं।
पूर्व मंत्री ने कहा कि जिस दौर में कोरोना का विस्फोट और भी बढ़ रहा है ऐसे समय में शिक्षकों को वर्चुअल सेंटरों में बुलाकर उनको डेंजर जोन में ले जाना कहां तक उचित है। अच्छा होता कि शिक्षा मंत्री जी शिक्षकों को एक जगह इक्कट्ठा करने के बजाय किसी और माध्यम से अपना संबोधन करते। जब प्रधानमंत्री जी अपना संबोधन अन्य माध्यमों से कर सकते हैं तो क्या शिक्षा मंत्री जी नहीं कर सकते।
कांग्रेस पार्टी सरकार के इस दंडात्मक रवैये के फैसले का विरोध करती है।