बंगाल के पर्यटकों का पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन है उत्तराखंड

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देहरादून। तीन दिवसीय इंटरनेशनल ट्रैवल एंड टूरिज्म फेयर (टीटीएफ) का शुक्रवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम कोलकता में आगाज हुआ। तीन दिवसीय फेयर में देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इंटरनेशनल ट्रैवल एंड टूरिज्म फेयर (टीटीएफ) का मुख्य उद्देश्य भारत में घरेलू पर्यटन को एक मंच पर प्रदर्शित करना है। इस तीन दिवसीय फेयर में उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से अपर निदेशक विवेक सिंह चौहान ने प्रतिभाग किया।इस अवसर पर विवेक सिंह चौहान अपर निदेशक, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद  ने कहा कि नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड पश्चिम बंगाल के पर्यटकों के लिए सबसे पंसदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की संख्या के मामले में पश्चिम बंगाल शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है। उत्तराखंड आने वाले कुल पर्यटकों में करीब दस प्रतिशत हिस्सेदारी इसी राज्य की है। उम्मीद है कि स्थितियां सामान्य होने के बाद पश्चिम बंगाल से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की संख्या में 12 से 13 फीसदी तक की वृद्धि हो सकती है। उत्तराखंड में विंटर टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। इसको ध्यान में रखते हुए इस वर्ष भी उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) पर्यटकों के लिए तैयारियों में जुटा है। धार्मिक पर्यटन के साथ शीतकालीन पर्यटन और साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए यूटीडीबी की ओर से जिला प्रशासन के साथ मिलकर नैनीताल, भीमताल, पंगोट, मसूरी समेत कई स्थानों पर विंटर कार्निवाल आयोजित किया जाता है। उधर उत्तराखंड का औली अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ स्कीइंग के लिए लोकप्रिय है। जबकि ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए केदारकांठा ट्रैक भी उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में ही है। ऐसे ही चकराता, नाग टिब्बा, मसूरी, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ की सुंदरता कोलकता के पर्यटकों को अपनी ओर आ‌‌कर्षित करता है। केदारनाथ समेत चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में सर्दियों में बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल फिर अप्रैल-मई में भक्तों के लिए खोल दिए जाते हैं। लेकिन सर्दियों के मौसम में चारों धामों के आसपास कई सुंदर पर्यटन स्थल हैं, जो देश-दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। अपर निदेशक ने इंटरनेशनल ट्रैवल एंड टूरिज्म फेयर के दौरान बताया कि शीतकालीन प्रवास के दौरान ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में ही भगवान केदारनाथ की चल-विग्रह डोली की पूजा-अर्चना की जाती है। जबकि शीतकाल के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद भगवान कुबेर और उद्धव अपने शीतकालीन पूजा स्थल पांडुकेश्वर में विराजमान होते हैं। 

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