उत्तर काशी – सड़क की मांग को लवकए ग्रामीणों का धरना, आमरण अनशन की चेतावनी

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-क्षेत्र के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

उत्तरकाशी। उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत खुरमोला ग्रामसभा में स्यालना-गवानाग मोटरमार्ग से ग्राम पंयासारी होते हुए ब्रह्मखाल-जुणगा मोटर मार्ग तक सड़क निर्माण के द्वितीय चरण की स्वीकृति दिए जाने की मांग को लेकर क्षेत्र के ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में चार साल बाद भी सड़क की डीपीआर स्वीकृत न किए जाने पर ग्रामीणों में रोष व्यक्त किया है। ग्रामीणों ने शीघ्र सड़क की डीपीआर स्वीकृत न किए जाने पर आंदोलन शुरु करने की चेतावनी दी है।
सीएम को भेजे गए ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा है कि ग्रामसभा खुरमोला के ग्राम पंयसारी के ग्रामीण पिछले चार वर्षों से पंयासारी मोटरमार्ग निर्माण की मांग करते आ रहे हैं। इस संबंध में कई बार क्षेत्रीय विधायक के माध्यम से भी मांग की जा चुकी है, लेकिन मोटरमार्ग की डीपीआर पर स्वीकृति न मिल पाने के कारण ग्रामीण हताश एवं निराश हैं। पंयासारी, रामनगर, मलदोड़ी, तलासीव के ग्रामीणों ने निर्णय लिया है कि गवनाग मोटर मार्ग से पंयासारी होते हुए ब्रह्मखाल जुणगा मोटर मार्ग तक सड़क निर्माण की द्वितीय चरण की डीपीआर यदि शीघ्र स्वीकृम नही होती है तो ग्रामीण काली मंदिर रामनगर खुरमोला में धरना शुरु कर देंगे। इसके पश्चात भी यदि शासन द्वारा सड़क की डीपीआर स्वीकृत नहीं की जाती है तो ग्रामवासियों द्वारा धरना स्थल पर आमरण अनशन शुरु कर दिया जाएगा। डीपीआर पर वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा प्रशानिक अनुमोदन प्रदान किया गया था। इस क्रम में गवानाग मोटर मार्ग से पंयासारी होते हुए ब्रह्मखाल जुणगा मार्ग तक 5 किमी सड़क एवं 24 मीटर स्पान के सेतु निर्माण की प्रथम चरण की प्रशानिक एवं वित्तीय स्वीकृति 89.93 लाख की प्रदान की गई थी। मार्ग का विधिवत समरेखण अनुमोदन करने के पश्चात मार्ग पर पड़ने वाली वन भूमि की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान करने के पश्चात सभी औपचारिताएं पूरी कर 2 नवंबर 2016 को शासनादेश जारी कर विधिवत स्वीकृति अपर सचिव वन द्वारा दी गई थी। स्वीकृति के पश्चात वर्ष 2016-17 में मार्ग पर पड़ने वाले वृक्षों का पातन किया जा चुका है और माह सितंबर 2020 तक मार्ग पर 7.48 लाख की धनराशि भी विभाग द्वारा व्यय की जा चुकी है। ज्ञापन में कहा गया है कि बड़ खेद का विषय है कि चार वर्ष पूर्व वन भूमि की स्वीकृति मिलने एवं पेड़ों का पातन हो जाने के बाद भी इस मार्ग की डीपीआर या तो गठित नहीं की गई और यदि गठित की गई तो आज तक डीपीआर पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई। सीएम को भेजे गए इस ज्ञापन पर मगनी देवी, आरती, संगीता, बीना, प्रमिला, एकता, विश्वंभरी देवी, रोशनलाल, जगदंबा, श्यामलाल, बृजमणि, रामकला, कलम सिंह, पीएस कुमाईं, महिमानंद आदि के हस्ताक्षर हैं।

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