नरेंद्र नगर : प्रेम और आशीष से मंत्री को मिला बोध – एक महीने से बेघर की नहीं ली गयी सुध

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चुनावी वक्त मे राजनैतिक दल से जुड़े नेता और मंत्रियो का  आपदा ग्रस्त इलाको  मे जाकर पीड़ितो के साथ तस्वीर लेने का दौर चल रहा है | इन तस्वीरों का आश्वासनों का धरातल पर कितना प्रभाव पड़ता है इस कहानी को बयान कर रहे है प्रेम दास,  जिसके घर की छत एक महीने पहले टूट गयी पर किसी भी सरकारी मुलाज़िम   ने इनकी तरफ  झाँकने की भी जरूरत नहीं समझी | जब मंत्री और संतरी से भरोसा उठ गया तो  प्रधान संगठन के महामंत्री आशीष रनाकोटी ने अपने प्रयासो ने राजस्व अधिकारियों को फोन खटखटाया तो सिस्टम मे कुछ हलचल दिखाई दी |

आपदाग्रस्त इलाको मे पीड़ितो के साथ फोटो खींचते है सिर्फ मंत्री और नेता

अमित कण्डियाल, नरेंद्रनगर

प्रेमदास के सर से छिन गई छत , सूचना के एक महीने बाद भी सरकारी सिस्टम ने नहीं ली कोई सुध

उत्तराखंड में लचर सरकारी सिस्टम की पोल खोल दी | तस्वीर ग्रामसभा रणाकोट से सामने आई हैं। जहां लगभग एक माह पूर्व भारी बारिश के चलते प्रेमदास के सर से छत छिन  गई। ताज्जुब की बात तो यह है कि घटना की सूचना के बावजूद भी सरकारी सिस्टम इतना लापरवाह नजर आ रहा है कि अभी तक पीड़ित की कोई सुध नहीं ली गई।

बीते 19 मई को गजा ब्लॉक नरेंद्रनगर की ग्राम सभा राणाकोट में भारी बारिश के चलते प्रेमदास के सर से छत चली गई। छत जाने से परेशान पीड़ित प्रेमदास द्वारा ग्रामप्रधान एवं अन्य जनप्रतिनिधियों से मदद की गुहार लगाई गयी। जिसके तुरंत बाद पालकोट पटवारी को घटना की सूचना दी गई। दुर्भाग्यवश सरकारी सिस्टम की लापरवाही की मार झेल रहे प्रेमदास का कहना है कि घटना को एक महीना होने वाला है लेकिन लचर सरकारी सिस्टम उनकी मदद को नहीं पहुंचा। सरकारी सिस्टम की लापरवाही से पीड़ित राणाकोट ग्रामसभा के निवासी पीड़ित प्रेमदास ने अब नरेंद्रनगर ग्रामप्रधान संगठन के महामंत्री आशीष रणाकोटी से मदद की गुहार लगाई है। आशीष रणाकोटी ने समस्या का संज्ञान लेते हुए तत्काल तहसीलदार गजा को घटना के संबंध में पत्र लिखा और तत्काल पीड़ित प्रेमदास को मुआवजा राशि एवं अस्थाई रूप से रहने का ठिकाना उपलब्ध करवाने की बात कही। वहीं आशीष रणाकोटी के प्रयासों से पीड़ित प्रेमदास के चेहरे में उम्मीद की किरण जागी है। जानकारी के लिए बता दें कि भारी बारिश से पीड़ित प्रेमदास का मकान ध्वस्त हुआ। जिसके चलते सरकारी सिस्टम की लापरवाही के कारण पीड़ित दर-दर भटकने को मजबूर है।

आशीष से मिले तो छलका प्रेम

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