महिला दिवस पर दिल्ली वाले देवर की तलाश

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“नई पहल नई सोच” द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में अपने दम पर अनूठा काम करने वाली पांच महिलाओं को सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाली महिलाओं में एसिड पीड़ितों के लिए काम करने वाली डॉ प्रतिभा नैथानी, अंधे बच्चों को उत्तरकाशी के नौगांव में शिक्षा देने वाली विजय लक्ष्मी, स्वयं दिव्यांग होकर पिछले 20 बर्षों में 25 हजार से भी अधिक दिव्यांगों को चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने वाली सुश्री मधु मैखुरी, उत्तराखण्ड में राजुला मालूशाही का जागर गाने वाली जागर गायिका बागेश्वर की श्रीमती कमला देवी तथा होम स्टे के माध्यम से आदि कैलाश व कैलाश मानसरोवर यात्रा के मार्ग के गांव पिथौरागढ़ के नबी गांव में होम स्टे के माध्यम से ग्रामीणों के लिए आर्थिकी के नए रास्ते शुरू करने वाली ग्राम प्रधान श्रीमती सनम देवी नबियाल सम्मानित की गई।

हरीश असवाल

कार्यक्रम का शुभारम्भ हंस फाउंडेशन की माता मंगला जी, भोले जी महाराज, सुप्रसिद्ध गायक नरेंद्र सिंह नेगी व बदरीकेदार मन्दिर समिति के अध्यक्ष शिव प्रसाद ममगाई द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

यह आयोजन “नई पहल नई सोच” के विचार को क्रियान्वित करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट सॉलिसिटर अधिवक्ता संजय शर्मा दरमोडा की पहल पर किया गया है। यह कार्यक्रम विगत बर्ष से निरंतर आयोजित किया जा रहा है जिसमें उत्तराखण्ड में विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है।
राजधानी के आइआरटीड़ी प्रेक्षागृह में इस कार्यक्रम की शुरुआत उत्तराखंड की महिला के संघर्ष पर बनी लघु फ़िल्म “ऊँमा बोल दियां” की स्क्रीनिंग से हुई। इस लघु फ़िल्म के निर्देशक कविलाश नेगी ने बताया कि यह फ़िल्म सुप्रसिद्ध साहित्यकार बल्लभ डोभाल की कहानी “कही अनकही” पर आधारित है जिसकी शूटिंग ट्रायबल बॉय फ़िल्म के बैनर तले देहरादून व उसके आस-पास के गांवों में हुई है।

इस सम्बंध में सुप्रसिद्ध लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने जानकारी देते हुए बताया है कि इस कहानी को पढ़कर वे अपने शब्दों को रोक नहीं पाए व इस कहानी को आधार बनाकर उन्होंने एक गीत “हे दिल्ली वला द्यूरा, तिन भैजी भी देखिनी कभी आंदा-जांदा” की संरचना की।

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