शरारती तत्वों द्वारा भड़कायी गई आग को गुरुजनों से बुझाने के निर्देश पर शिक्षक संघ ने नाराजगी व्यक्त की है ।गौरतलब है कि डीएम उत्तरकाशी ने निर्देश निकाला था कि कोविड-19 जागरूकता अभियान के साथ शिक्षक संगठन जंगलों में भड़की आग को बुझाने का काम भी करेंगे , इसके लिए उन्हें प्रभागीय वन अधिकारी उत्तरकाशी , टोंस और पुरोला में विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। शिक्षक संगठनों ने गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत को ज्ञापन भेजकर अपनी नाराजगी प्रकट की है।
गिरीश गैरोला
संघ के जनपदीय मंत्री धीरेंद्र भंडारी ने कहा कि कोविड-19 से जंग के लिए आर्थिक रुप से सहयोग के साथ दिए गए अन्य सभी निर्देशों का पालन वे पूर्ण रूप से कर रहे हैं। इसके अलावा ऑनलाइन क्लास के माध्यम से भी छात्रों से जुड़े हुए हैं ।साथ ही कोविड-19 को लेकर जागरूकता कार्यक्रम को लेकर दे गए निर्देशों का पालन सुनिश्चित कर रहे हैं । ऐसे में गुरुजनों को खाली बैठा समझ जंगलों की आग आग बुझाने के निर्देश देना न्याय उचित नहीं है । उन्होंने बताया कि फायर सीजन पर वन विभाग में विशेष भर्ती होती है इसके अलावा वन पंचायतों में भी इसके लिए प्रावधान किया गया है।
भंडारी ने कहा कि विशेष परिस्थितियों में यदि विभाग में फायर सीजन में लगाए जाने वाले श्रमिकों की कोविड-19 के चलते कमी हो गई है तो वैकल्पिक व्यवस्था होने तक शिक्षकों के साथ अन्य समाज के वर्ग का भी आग बुझाने में सहयोग लिया जा सकता है , अन्यथा शिक्षकों को खाली बै ठा समझ कर उनका मजाक बनाना उचित नहीं है। शिक्षक भी अन्य कोरोना वारियर्स की तरह इस जंग में बराबर की हिस्सेदारी कर रहे हैं ।इसके अलावा उत्तराखंड के किसी भी जनपद में गुरुजनों को जंगलों की आग बुझाने के लिए तैनात करने के निर्देश नहीं दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि गंगोत्री विधायक गोपाल रावत ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि इस संबंध में जिलाधिकारी उत्तरकाशी डॉ आशीष चौहान से वार्ता कर इसे निरस्त कराने का काम करेंगे।