“गैरसैंण की गोद में योग और संस्कृति का महोत्सव, विदेशी मेहमानों ने किया नमन”

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया भव्य स्वागत, विदेशी मेहमानों ने कहा — ‘उत्तराखंड है आध्यात्म का वास्तविक केंद्र!’


गैरसैंण, 20 जून 2025।
उत्तराखंड की वादियों में आज वो गूंज उठी जो न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया भर में आध्यात्म, संस्कृति और योग की शक्ति का संदेश बन गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भराड़ीसैंण में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में भाग लेते हुए, 8 देशों के राजदूतों और योगाचार्यों का परंपरागत तरीके से स्वागत कर उत्तराखंडी आत्मीयता का परिचय दिया।


🌍 गैरसैंण की हवा में घुली योग और देवभूमि की गरिमा

जैसे ही विदेशी मेहमान भराड़ीसैंण की पहाड़ियों में पहुंचे, उनकी आँखों में एक चमक थी।
छोलिया नृत्य की थाप, लोक वाद्य की धुन और टीलों से टकराती हिमालयी हवाओं ने उन्हें भारतीय संस्कृति की गोद में ला खड़ा किया।

“यह जगह सिर्फ सुंदर नहीं, बल्कि आत्मा को छूने वाली है,” – मैक्सिको के राजदूत फेडेरिको सालास ने कहा।


🧘‍♂️ मुख्यमंत्री का उद्घोष – “यह उत्तराखंड का दशक है”

मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संकल्प को दोहराया जिसमें उन्होंने उत्तराखंड को योग और आयुष का वैश्विक केंद्र घोषित किया था।

“हमारी संस्कृति में योग और आयुर्वेद सदियों से रचे-बसे हैं। हिमालय की छांव में ये ज्ञान और जीवनशैली बन जाते हैं।” – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

धामी ने सभी राजदूतों को उत्तराखंडी टोपी व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया और उन्हें उत्तराखंड की आध्यात्मिक विरासत का वाहक बताया।


🌱 योग, आयुर्वेद और सुपरफूड्स से गढ़ रहा उत्तराखंड भविष्य का मॉडल

धामी ने कहा कि उत्तराखंड की मिट्टी में उगती जटामांसी, कुटकी और तिमूर जैसी दुर्लभ जड़ी-बूटियां न केवल हिमालय की संपदा हैं, बल्कि स्वास्थ्य का भविष्य भी हैं।

राज्य सरकार आयुर्वेद, पंचकर्म और योग के साथ कृषि आधारित वेलनेस इकोनॉमी को बढ़ावा दे रही है। मंडुवा, भट्ट, झंगोरा जैसे सुपरफूड्स अब वैश्विक मंच पर पहचान पा रहे हैं।


🎭 नंदा देवी से लेकर झोड़ा-नाटी तक – एक शाम, पूरा उत्तराखंड

कार्यक्रम की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ किसी विश्वस्तरीय आयोजन से कम नहीं रहीं।
नंदा देवी राजजात, झोड़ा, छपेली, नाटी, जौनसारी नृत्य – हर प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। विदेशी प्रतिनिधि कलाकारों के साथ फोटो खिंचवाते और वीडियो बनाते नज़र आए।

“यहां की लोककला में आत्मा बसती है,” – लातविया के मार्क्स डीतॉन्स ने कहा।


🏔 अंत में एक प्रश्न: क्या दुनिया तैयार है योग की असली राजधानी से मिलने को?

गैरसैंण में आज जो हुआ, वो सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था।
यह उत्तराखंड के सांस्कृतिक आत्मविश्वास, प्राकृतिक वैभव और वैश्विक संवाद की शुरुआत थी।

“जिस जगह पर ऋषि-मुनियों ने ध्यान लगाया, आज वहां दुनिया के दूत नमस्कार कर रहे हैं।”

👉 अब समय है कि हम उत्तराखंड की इस पहचान को और मजबूत करें – क्योंकि यह सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक धरोहर है जो पूरे विश्व को जोड़ने की क्षमता रखती है।


📢 Meru Raibar News – जहां देवभूमि की हर धड़कन खबर बनती है।


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