उत्तरकाशी: भक्त और भगवान के बीच बंदूक का पहरा क्यों ?

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उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के मातली मे कपिल मुनि जन कल्याण समिति ने बारहवीं वी वाहिनी आईटीबीपी मांतली पर उनके मंदिर और स्कूल मे स्वतंत्र आवाजाही की मांग करते हुए सत्याग्रह किया ।ग्रामीणो ने ढ़ोल नगाड़े के साथ बड़ी तादाद मे महिलाओ के साथ प्रदर्शन किया . ग्रामीणो का आरोप है कि उनके द्वारा निशुल्क दी गई भूमि पर आईटीबीपी ने अपना कैंप बनाया किन्तु उन्हे अपने मंदिर और स्कूल तक आवाजाही के लिए स्वतंत्र मार्ग नही दिया गया और अब गेट पर उन्हे सुरक्षा के नाम पर जानबूझकर रोका जा रहा है |


जिस कपिल मुनि के श्राप से राजा सगर के 60 हजार पुत्र भष्म हो गए थे और उनकी पीढ़ी के राजा भागीरथ ने अपने पित्रों की मुक्ति के लिए साढ़े पाँच हजार वर्ष तक एक पैर पर खड़े होकर गंगा को प्रिथ्वी पर अवतरण के लिए कठोर तप किया था उसी कपिल मुनि के मंदिर को 12 वी वाहिनी आईटीबीपी मातली ने चार दिवारी मे कैद कर दिया कपिल मुनि मातली के ग्रामीणो के इष्ट देवता है और उनकी पुजा अर्चना के लिए ग्रामीणो को तड़के सुबह से साम तक मंदिर मे आना जाना होता है . इतना ही नहीं ग्रामीणो का स्कूल भी आईटीबीपी की चार दिवारी के अंदर ही मौजूद है ।

विगत कुछ समय से ग्रामीणो को गेट पर रोककर बे वजह पूछताछ कर आईडी प्रूफ मांगा जा रहा है | ग्रामीणो ने बताया कि स्थानीय लोगो ने आईटीबीपी को निशुल्क अपनी गाँव कि भूमि दी थी और बदले मे उन्हे अपने ही मंदिर और स्कूल मे जाने के लिए आईडी प्रूफ दिखाना पड़ रहा है | समिति के अध्यक्ष राम लाल नौटियाल ने बताया कि पूर्व मे जब आईटीबीपी ने मंदिर को चार दिवारी मे लेने के लिए काम सुरू किया तब ग्रामीणो ने न्यायालय मे अपने हक कि मांग उठाई और वर्ष 2006 मे आईटीबीपी ने न्यायालय मे शपथ पत्र देकर ग्रामीणों के स्वतंत्र आवाजही की बात स्वीकार की थी |
विरोध प्रदर्शन के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौके पर पहुँच गए साथ ही प्रशासन की तरफ से नायब तहसीलदार भी मौके पर पहुचे | ग्रामीणो ने नायब तहसीलदार के माध्यम से डीएम और आईटीबीपी को अपना ज्ञापन भेजा और चेतावनी दी की उनके इष्ट से मिलन मे बाधा और रोक टोक का वे हर हाल मे विरोध करेंगे |

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