– पर्यटन के नाम पर सरकारी धन का किस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है इसका जीता जागता उदाहरण नंधौर वन्य जीव अभ्यारण में बना नंधौर वन्य जीव म्यूजियम है इस म्यूजियम की हालत खस्ता तो है ही यहां पहुंचने के लिए वन विभाग ने कोई प्रचार-प्रसार तक नहीं किया है। नंधौर सेंचुरी में बने इस म्यूजियम को व्यवस्थित तरीके से रखा जाता तो यहां पर्यटक भी आते साथ ही वन्य जीव एवं मनमोहक वन क्षेत्र का लुफ्त भी उठाते मगर सरकारी उदासीन कहें या फिर विभागीय अनदेखी कुल मिलाकर सरकारी धन का खुलेआम दुरुपयोग देखने को मिल रहा है।
शैलेन्द्र कुमार लाल कूँआ
बताते चलें कि नंदौर वन्य जीव अभ्यारण 2010 में बनाया गया था जिसकी पांचवी वर्षगांठ के अवसर पर यहां जौलासाल रेंज कार्यालय के पास नंधौर वन्यजीव संग्रहालय बनाया गया था ताकि पर्यटक यहां आकर नंधौर के इतिहास को बारीकी से देख सकें मगर विभागीय लापरवाही और सरकारी उदासीनता के चलते यह संग्रहालय अब एक खंडहर में तब्दील हो चला है।
संग्रहालय परिसर में झाड़ियां उग चुकी हैं जबकि शौचालय के दरवाजे टूटे हैं साथ ही पर्यटकों के लिए बैठने वाली बेंचे भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं और तो और सोलर लाइट भी खस्ताहाल हैं इसके अलावा यहां तक पहुंचने का रास्ता भी खस्ताहाल पड़ा है ऐसे में पर्यटक यहां कैसे पहुंचे यह भी अपने अपने बड़ा सवाल बना हुआ है वहीं दूसरी तरफ प्रचार प्रसार के अभाव की वजह से भी यह क्षेत्र लोगों की नजर से दूर है।
वहीं पूरे मामले पर पूर्व दर्जा राज्यमंत्री गोपाल सिंह रावत ने सरकार और विधायक को कटघरे में लिया है उन्होंने कहा कि सरकारी लापरवाही के चलते संग्रहालय खंडहर में तब्दील हो चुका है यदि सही प्रचार-प्रसार मिला होता तो इस प्रकार से सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं होता और पर्यटक यहां आते जिससे राजस्व में भी आमदनी होती मगर क्षेत्रीय विधायक इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
पूरे मामले पर विधायक नवीन दुम्का ने भी माना कि यह क्षेत्र ज्यादा प्रचार प्रसार में नहीं है इसलिए लोग यहां नहीं पहुंच पाते हैं इसके अलावा कई विभागीय अधिकारी भी बदल चुके हैं जिससे म्यूजियम और वन क्षेत्र की सही तरह से देखभाल नहीं हो पा रही है उन्होंने कहा कि अभी स्थाई रूप से यहां प्रभागीय वन अधिकारी आ चुके हैं और सरकार से बजट का इंतजाम करा कर क्षेत्र का और म्यूजियम का सही विकास किया जाएगा।