परमार्थ निकेतन में गुंजा नाद योग

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-स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने योग प्रतिभागियों को भेंट किये ’योग प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र’
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित दो साप्ताह के नाद योग प्रशिक्षण शिविर का समापन हुआ। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने विश्व के विभिन्न देशों यथा भारत, कनाड़ा, लंदन, जर्मनी, ब्राजील, अमेरीका सहित अन्य देशों से आये प्रतिभागियों को योग टीचर्स ट्रेनिंग प्रमाण पत्र भेंट किये। साथ ही स्वामी जी ने सभी प्रतिभागियों को योग के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

गिरीश गैरोला

नाद योग प्रशिक्षण शिविर में मंत्र उच्चारण, वेद मंत्र, संगीत, ध्यान और योग का अभ्यास कराया गया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने योग जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुये कहा, ’’योग अर्थात जुड़नाय एकजुट होना। योग का सम्बंध न किसी धर्म से और न आस्था सेय योग न आस्तिकवादियों का है न नास्तिकवादियों का बल्कि योग सर्वत्र है और सर्वज्ञ है। योग, जीवन को जागृत करने काय जीवन को ऊर्जावान बनाने का विज्ञान है और स्व से जुड़ने का श्रेष्ठ मार्ग है। योग केवल शरीर की फिटनेस के लिये नहीं है बल्कि यह तो शरीरय मन और ब्रह्मण्ड के मध्य सामंजस्य स्थापित करता है। स्वामी जी ने कहा कि योग, शब्द में वह शक्ति है जो पूरे विश्व को एक सूत्र में बांध सकती है। धरती पर विश्व बन्धुत्व को स्थापित करने की सामथ्र्य रखता है ‘योग’। योग के माध्यम से विभिन्न संस्कृति, विभिन्न धर्मों, अलग अलग वेशभूषा और भाषा के योग साधक, योग की विभिन्न विधाओं को आत्मसात करने के लिये माँ गंगा के तट पर आते है। विभिन्न राष्ट्रों से आयेे योग जिज्ञासुओं के मध्य सारी विविधताओं के बावजूद एकत्व और बन्धुत्व को साकार करते है, यह सामथ्र्य केवल ‘‘योग’’ में ही निहित है।

स्वामी जी ने कहा कि योग करो, रोज करो और मौज करो।’’ स्वामी जी ने सभी योग शिक्षकों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुये जल और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया। उन्होने कहा कि ’योग शिक्षक बने प्रकृति के रक्षक’, ’जहां भी जायेंगे योग सिखायेंगे और प्रकृति को बचायेंगे’। सभी योग शिक्षकों को विदाई के समय शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का एवं रूद्राक्ष की माला भेंट की। उन्होंने सभी योग साधकों से आहृवान किया कि इस दिव्य तीर्थ से प्राप्त ऊर्जा एवं सृजनशक्ति को प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण में लगाये।’स्वामी जी के पावन सान्निध्य में सभी योग प्रशिक्षकों ने विश्व स्तर पर जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया।

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