पशुधन को बढ़ावा देने के लिए कृत्रिम गर्भाधान बेहतर

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देहरादून। जिलाधिकारी सी रविशंकर की अध्यक्षता में कैम्प कार्यालय में पशुपालन विभाग की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। बैठक में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एस.बी पाण्डेय ने पशुपालन विभाग द्वारा पशुधन सुधार में किये गये कार्यों और जनपद में पशुधन को बढावा देने के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रमों-योजनाओं की प्रगति के बारे में जिलाधिकारी को अवगत कराया।

गिरीश गैरोला

उन्होंने अवगत कराया कि कृत्रिम गर्भाधान योजना के तहत् सम्बन्धित पोर्टल पर कुछ अवशेष आंकड़े अपलोड किये जा रहे हैं, जिससे प्रगति में थोड़ी बढोतरी दर्ज होगी। बैठक जिलाधिकारी को अवगत कराया कि जनपद में वर्ष 2012 की पशुधन गणना के अनुसार साढे 4 लाख पशु और 4 लाख चिड़िया वर्ग(मुर्गी-बत्तख इत्यादि) सहित कुल साढे आठ लाख पशुधन हैं। कहा कि जनपद में अब तक पशुधन टीकाकरण में 52,120 बकरी में पीपीआर टीके, 2 लाख 88 हजार एफएमडी टीके तथा अन्य टीके सहित कुल 4 लाख 75 से उपर पशुधन का टीकाकरण किया गया है। उन्होंने अवगत कराया कि ‘सैक्स शर्टेड सीमन’ तकनीक से पशुओं का निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान किया जा रहा है और इस तकनीक से लगभग 90 प्रतिशत् बछिया ही पैदा होती है और उन्नत नस्ल के पशु पैदा होने से दुग्ध उत्पादन में बहुत वृद्धि होती है, जो 2022 तक किसान की आय दुगुना करने में भी मददगार होगा। उन्होंने सभी किसानों और पशुपालकों से पशुपालन विभाग के सहयोग से इसी तकनीक से गर्भाधान करवाने की अपील की। जिलाधिकारी ने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को कृत्रिम गर्भाधान योजना के तहत् पशुओं का कलस्टर आधारित गर्भाधान करवाने, साथ ही प्रोडक्टिव पशुधन की मात्रा बढाने के निर्देश दिये। 

उन्होंने गौशाला निर्माण बकरीपालन इत्यादि योजनाओं को मनरेगा इत्यादि के माध्यम से लिंक करने और सही लाभार्थी को पशुपालन की विभिन्न योजनाओं की एकीकृत तरीके से लाभ प्रदान करते हुए उसकी आजीविका में सुधार लाने के निर्देश दिये। जिलाधिकारी ने 20 सूत्री कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए ‘अण्डा और दुग्ध’ उत्पादन पर विशेष फोकस करते हुए इन दोनों के उत्पादन को 10 प्रतिशत् बढाने का लक्ष्य दिया। उन्होंने कहा कि इन दोनों मद में वर्तमान समय में बहुत अधिक डिमाण्ड हैं विभिन्न होस्टल्स इत्यादि में अण्डो की बहुत डिमाण्ड रहती है, जिनसे टाइअप करते हुए इसको और बढाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि अपने सभी प्रकार के संसाधनों का एक बार अवलोकन कर लें यदि पशुओं को कैरी करने हेतु वाहन-एम्बुलेंस, डायनौस्टिक लैब इत्यादि की जरूरत हो तो उसका प्रस्ताव बना कर दें, लेकिन हर ब्लाक में मिनिमम पशु सहायक उपकरण जरूर होने चाहिए। चकराता पशु चिकित्साधिकारी ने चकराता में उपकरण और मानवीय संसाधन की कमी होने की बात रखी जिस पर जिलाधिकारी ने इस सम्बन्ध में प्रस्ताव देने तथा मैदानी क्षेत्रों में पूर्व में निर्वाचन कार्य में तैनात कार्मिकों को चकराता में तैनात करने के निर्देश दिये।जिलाधिकारी ने सभी प्रकार के पशुधन, इम्यूनाइजेशन, संसाधन इत्यादि का सही डाटा तैयार करते हुए पशु चिकित्साधिकारी को निर्देश दिये कि विस्तृत होमवर्क करते हुए एक्शन प्लान तैयार करें तथा फिल्ड के कार्मिंक को लक्ष्य देकर उसकी लगातार माॅनिटिरिंग करते हुए प्रगति बढायें। उन्होंने पहाड़ी क्षेत्रों में वहां की जलवायु के अनुकुल पशुधन सुधार की तकनीक का उपयोग करने और मानक के अनुसार प्रत्येक पशु का टीकाकरण करने और लोगों को पशुधन बिमा करवाने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिये। इसके अतिरिक्त जिलाधिकारी  ने पशुपालन विभाग की विभिन्न योजनाओं का लोगों को सीधा लाभ दिलवाने के लिए ब्लाक स्तर से लेकर न्याय पंचायत व ग्राम पंचायत स्तर तक साइन बोर्ड, ब्रोशर्स, बुकलेट तथा जागरूकता शिविर इत्यादि के माध्यम से व्यापाक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिये। इस अवसर पर बैठक में मुख्य विकास अधिकारी जी.एस रावत, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ एस बी जोशी सहित पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय पशु चिकित्साधिकारी व कार्मिक उपस्थित थे।

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