मेधा पाटकर जी के अनशन का 07 वा दिन , अन्य 08 साथियों के अनशन का तीसरा दिन
अनशन छोड़ने की अपील करने सत्याग्रह स्थल पर पहुंचे, बड़वानी कलेक्टर, S.P., एडिशनल S.P.
नर्मदा चुनौती अनशन के समर्थन में देश भर से कई हिस्सों से मिला समर्थन।
अंकित तिवारी।

बडवानी | नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर जी के द्वारा नर्मदा चुनौती अनिश्चितकालीन सत्याग्रह, नर्मदा किनारे छोटा बड़दा में सातवे दिन भी जारी रहा | मेधा पाटकर जी पिछले 25 अगस्त से बिना पुनर्वास सरदार सरोवर बांध में 192 गांव और एक नगर को डूबाने की केंद्र और गुजरात सरकार की जिद के खिलाफ अनशन किया जा रहा है | जबकि घाटी में आज 32,000 परिवार निवासरत है ऐसी स्थिति में बांध में 138.68 मीटर पानी भरने से 192 गांव और 1 नगर की जल हत्या होगी |

बांध में पानी का लेवल 134 मीटर से उपर पहुँच चूका है और केंद्र और गुजरात सरकार द्वारा लगातार 32,000 परिवारों को अनदेखा किया जा रहा है नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथियों द्वारा लगातार अनिश्चितकालीन अनशन जारी है लेकिन सरकार के द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया जा रहा है |
आज सुबह बडवानी कलेक्टर अमित तोमर और बडवानी S.P. द्वारा अनशन स्थल पर पहुँच कर अनशन खत्म करने तथा स्वास्थ्य परीक्षण की अपील की गई लेकिन सत्याग्रहियों का साफ़ कहना था पहले पानी का लेवल कम किया जाये और पुनर्वास की व्यवस्था किया जाये उसके बाद ही बांध में 138.68 मीटर तक पानी भरा जाये | इस पर बडवानी कलेक्टर द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया गया |

आज भी नर्मदा घाटी में 32,000 परिवार निवासरत है | आज की मध्यप्रदेश सरकार ने हमारी बात तो सुनी पर 08 महीनों में पुनर्वास का काम आगे नहीं बढ़ा | पूर्व सरकार ने जो जो गडबडी कोई उसकी सच्चाई सामने लाकर गुजरात और केंद्र सरकार से बांध के गेट खुलवाना चाहिए और पुनर्वास का काम तत्काल करना चाहिए |
ऐसे ही हर बांध में गांव गांव की हत्या होती रही क्योंकि विकास की आवधारणा ही गलत है | ऐसी स्थति में क्या मध्यप्रदेश सरकार अपने लोगों को बिना पुनर्वास डूबने से रोक पायेगी ?
नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनुसार 6000 परिवार और 76 गाँव ही नहीं, काफी अधिक संख्या में (करीबन 32000 परिवार) निवासरत है। जीने का अधिकार न पाये दुकानदार, छोटे उद्योग, कारीगरी, केवट, कुम्हार तो डूब लाकर क्या इन गांवों की हत्या करने दे सकते है?
जलस्तर में वृद्धि सत्याहग्रहियों को धमकाने का प्रयास
गुजरात सरकार सत्याग्रहियों तथा डूब क्षेत्र के प्रभावितों को धमकाने के लिए सरदार सरोवर के गेट से पर्याप्त निकासी नहीं कर रही है जिससे जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। निधारित जलभराव कार्यक्रम के विरुद्ध जलस्तर बढ़ा कर आज 134.500 मीटर कर दिया गया है। लेकिन, सत्याग्रही डूब से पहले हर परिवार के संपूर्ण पुनर्वास की मांग पर अडिग हैं।
बांध के दुष्पूरिणाम दिखाई देने लगे हैं
पिछले पखावड़े से नर्मदा घाटी के साकड़-हरिबड़ क्षेत्र में लगातार भूकम्प के झटके आ रहे हैं। अब भूकंप की तीवृता और प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। जलाशय में पानी रुकने से जलजनित और मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां तेजी से फैल रही है। स्थानीय अस्पतालों के रिकार्ड के अनुसार ओपीडी मरीजों की संख्या 3 गुना बढ़ गई है। साथ ही जलाशय का जल प्रदूषित होने से आज छोटा बड़दा में कई मछलियां मरी हुई दिखाई दी।
पुनर्वास संबंधी इन मुद्दों पर कार्य बहुत धीमी गति से आगे बढ़ा है। आज तुरंत सही प्रक्रिया अपनाना जरुरी है क्योंकि पिछले 15 सालों में काफी गड़बड़ी, धांधली, झूठी रिपोर्ट और भ्रष्टाचार ही चला है। आज भी दुर्भाग्य से भ्रष्टाचारियों को रोका नहीं गया है। पूर्व शासन द्वारा सर्वोच्च या उच्च अदालत में प्रस्तुत याचिकाएँ वापस करने के आश्वासनों की पूर्ति आज तक नहीं हुई है ।
