रस्सी पर फिसलती जिंदगी।
सड़क के इंतजार में खराब होती नगदी फसल।
गिरीश गैरोला।
विश्व प्रशिद्ध डोडीताल ट्रेक पर स्थित अगोडा गाँव के लोग शौकिया तौर पर ट्रेकर्स को तो अडवेंचर के सभी गुर सिखाते है किन्तु खुद के गाँव मे रस्सों से गहरी खाई में अस्सी गंगा को पार करना उनकी दैनिक मजबुरी बन गयी है।
उत्तरकाशी के संगम चट्टी इलाके के 9 गाँव के ग्रामीण अपनी खून पसीने के मेहनत के बाद उपजाऊ जमीन से अपने हिस्से की रोटी पैदा करते है, किन्तु आजतक इलाके में आधारभूत सुविधाओं का अभाव है। जिला मुख्यालय से लगा होने के बाद भी इलाके में सड़क नही पहुँच सकी, नौगांव के पूर्व प्राधन सबल सिंह रॉवत कहते है कि कुछ गाँव तक सड़क पहुची भी तो वह समय पर कास्तकारों के काम नही आती है। गाँव मे आजकल आलू निकलना सुरु हो चुका है किंतु अभी तक सड़क बंद है।
आजकल आलू के रेट अच्छे मिलते है तो उसे बाजार पहुचाने की दिक्कत है जब तक सड़क ठीक होगी तब तक आलू का रेट बहुत गिर चुका होता है और कास्तकारों को उनका उचित मेहनताना नही मिल पाता है।
जीवन जीने के लिए जरूरी संसाधनों के बगैर ये लोग वर्षो से अपनी मांग शासन और प्रशासन के बीच रख चुके है।
गाँव के सुमन ने बताया कि संगम चट्टी इलाके में अगोडा और गाँव के ग्रामीणों को अपनी खेती और पशुओ की देखभाल के लिए अस्सी गंगा को पार कर दूसरी तरफ़ पहाड़ी पर जाना होता है और ये रोज की दिनचार्य है। शर्दियों में जल स्तर कम होने पर तो आसानी से नदी को पर किया जा सकता है किंतु बरसात के चौमासे में जब अस्सी गंगा उफान पर रहती है तब इसे पार करना संभव नही होता है। ऐसे में गाव के लोग रस्सी के सहारे ही ट्रॉली से गहरी खाई को पार करते है।
वर्ष 2012 की आपदा में यहाँ पुल बह गया था तब से ग्रामीण इन रस्सियों की मदद से ही इधर उधर हो रहे है।
अडवेंचर के शौकीन इसे देख कर रोमांचित हो सकते है किंतु ये ग्रामीणों की रोज की दिनचार्य है जरा से चूक जीवन लीला को समाप्त कर सकती है।