आयुर्वेद एक जीवन पद्धति है जो हमे जीवन जीने की कला सिखाता है। एलोपैथी में दिए जाने वाले एंटीबायोटिक्स की बढ़ती डोज से बैज्ञानिक भी अब परेशान है । दरअसल शरीर मे बैक्टीरिया की भी प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है और रोग प्रतिरोधक के लिए हमे और बड़ी डोज में दवाएं लेने को मजबूरी होने लगी है। ऐसे में आयुष विभाग द्वारा पंचकर्म की सफलता के बाद अब योगा से भी निरोग रहने की कला सिखाई जा रही है ताकि बीमार होकर इलाज करने से बेहतर बीमार ही न हुआ जाय इस पर कार्य किया जा रहा है।
गिरीश गैरोला।

आयुर्वेद विभाग की उत्तरकाशी पंचकर्म यूनिट में आयुर्वेदक इलाज के साथ पंचकर्म पद्धति से इलाज के बाद अब योग की क्लास भी सुरु हो गयी है। पातंजलि हरिद्वार और रामदेव के आयुर्वेद को प्रमुखता देने के बाद से आम लोगो का भी इस पद्धति में विश्वास बढने लगा है, हालांकि पढ़े लिखे और उच्च वर्गीय धनाढ्य वर्ग में आयुर्वेद के लिए पहले से ही रुझान देखा जाता रहा है। जबकि सरकारी पालिसी में ज्यादातर आयुर्वेदक अस्पताल सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में ही खोले गए है जहाँ लोगो को अधिकतर तात्कालिक मामलों में ही अस्पताल की जरूरत पड़ती है लिहाजा वहाँ एलोपैथी को प्रमुखता दी जानी चाहिये , आयुर्वेद से इलाज में परहेज के साथ लंबा समय लगता है। गाँव मे मेहनत का काम इतना ज्यादा है कि न तो परहेज और न आराम का समय । इसके उलट नगरों में लोग एलोपैथी से ऊब चुके है और समय देकर भी आयुर्वेद से इलाज करना चाहते है। पंचकर्म से इलाज करवाने वालो की लिस्ट पर गौर फएमाएँगे तो समाज का एक खास वर्ग ही नजर आएगा।

अब आयुष विभाग ने पंचकर्म यूनिट के साथ योग की क्लास निशुल्क सुरु कर दी है। योग प्रशिक्षक अनिता कोठियाल नौटियाल ने बताया कि 11 जुलाई को जब योगा की सुरुवात हुई थी उस दिन केवल एक व्यक्ति के साथ क्लास सुरुवात की थी जो अब बढ़कर दो दर्जन तक पहुँच गयी है , जिसमे गृहणी नौकरी पेशा से जुड़े लोग भी सामिल है। उन्होंने बताया कि ज्यादातर लोग डायबिटीज, गैस कब्ज, थायरायड और सर्वाइकल स्पॉडिलायटिस से परेशान है कुछ लोग prevention is better than cure पर विश्वास करते हुए निरोगी होते हुए भी इसे अपना रहे है।

जिला आयुर्वेदक एवं यूनानी अधिकारी कुसुम उनियाल ने बताया कि गर्मियों में सुबह साम 5 बजे से 7 बजे तक पंचकर्म यूनिट में योगा कराया जा रहा है जिसमे समाज का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।
योगा की क्लास में आने वालों में से जया पटेल , यशपाल भंडारी, हिमांशु शेखर जोशी, भारती नौटियाल और मधु बहुगुणा ने इसे अच्छा प्रयास बताया है।

