दुनिया की सबसे लंबी प्रतियोगिता में प्रदेश के इंजीनियरिंग छात्र दिखाएंगे प्रतिभा

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शैल ईको मैराथन – देश की 21 टीमो से होगा प्रदेश का मुकाबला

देहरादून। बढ़ती आबादी और सस्टेनेबल जीवनस्तर की मांग ऐसी दो चुनौतियां है कि जो अधिक संख्या में ऊर्जा के हरित स्रोत विकसित करने की आवश्यकता को बढ़ावा दे रही हैं। कार्बन उत्सर्जन घटाने की आवश्यकता और जलवायु कार्यवाहियों के चलते अब दुनिया ने विकास को बढ़ावा देने के लिए नए ईंधन और अवसरों की तलाश कर रही है।


इसके जवाब में, उत्तराखंड के इंजीनियरिंग छात्रों ने ऐसे वाहन डिजाइन किए हैं जो हरित भविष्य विकसित करने की राह में काफी मददगार साबित होंगे।

गिरीश गैरोला

शैल की मेक द फ्यूचर लिव 2019 के तहत शैल ईको-मैराथन में इन वाहनों का परीक्षण किया जाएगा। यह प्रोग्राम 19 से 22 नवंबर तक शैल टेक्नोलॉजी सेंटर बेंगलुरु (एसटीसीबी) में आयोजित किया जाना है। उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व 3 टीमें करेंगी और ये टीमें देष भर के इंजीनियरिंग कॉलेजों से आई  21 टीमों से मुकाबला करेंगीः – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की टीम हिल स्प्रिंटर्ज इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी में प्रतिभागिता कर रही है

और इसका लक्ष्य 150 किलोमीटर/यूनिट का माइलेज हासिल करना है।-ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी की E^2 भी पहली बार शैल ईको-मैराथन में हिस्सा ले रही है और टीम इलेक्ट्रिक वाहन श्रेणी में प्रतिभागिता करेगी। इनके प्रोटोटाइप की बॉडी बेकार कागजों और अखबारों का इस्तेमाल कर बनाई गई है और यह वॉटरप्रूफ होने के साथ ही फायरप्रूफ भी है।– ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी की ही टीम जीईयू मोटरस्पोर्ट्स गैसोलिन श्रेणी में हिस्सा ले रही है और इसका लक्ष्य 125 किलोमीटर प्रति लीटर का माइलेज हासिल करना है। इस टीम के प्रोटोटाइप में स्लाइडिंग कॉकपिट डोर, स्पिल्ट बॉडीवर्क, स्ट्रिप से जुड़ी ब्रेक लाइट और सेल्फ मेड एक्सहॉस्ट शामिल है।

 शैल ईको-मैराथन, दुनिया में सबसे लंबे समय तक चलने वाली छात्र प्रतियोगिता है। दुनिया के कई देशों में इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है और इसका उद्देश्य इंजीनियरिंग छात्रों को ऐसे ऊर्जा दक्ष वाहन बनाने, उन्हें टेस्ट और ड्राइव करने का अवसर उपलब्ध कराना है, जो दुनिया की स्वच्छ ऊर्जा सॉल्यूशंस की मांग पूरी करने में योगदान कर सकें। 

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