देहरादून। किसी भी प्रदेश पार्टी अध्यक्ष के कार्यकाल में ढाई साल का समय कम नहीं होता। वह भी तब जब उसे पार्टी की चुनाव में हार के बाद नेतृत्व सौंपा गया हो। लेकिन जो समय कुछ कर दिखाने का, अपनी टीम बनाने का होता है। उसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का समय पुरानी टीम के साथ सांमजस्य बनाने में ही बीत गया। ढाई साल बाद ही सही नई कार्यकारिणी मिली तो उस पर शुरु हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तराखंड कांग्रेस के अंदर चल रही खींचतान बता रही है कि अभी यह धूल बैठने में समय लगेगा।
गिरीश गैरोला
ढाई साल के बाद करीब हफ्ते भर पहले उत्तराखंड कांग्रेस की नई कार्यकारिणी गठित हुई तो बवाल शुरु हो गया। सचिव पद की सूची में नाम आने का पता चलते ही पहले से हरीश रावत की उपेक्षा पर नाराज चल रहे हरीश धामी हत्थे से उखड़ गए। उन्होंने न सिर्फ सचिव पद से इस्तीफा दे दिया बल्कि कांग्रेस छोड़ने की धमकी भी दे डाली।हरीश रावत की उपेक्षा के मामले में धामी को टका सा जवाब देने वाले प्रीतम सिंह इस मामले में बैकफुट पर नजर आए। उन्होंने धामी को यह कहकर मनाया कि यह उनकी जानकारी में नहीं था और उनका नाम विशेष आमंत्रित सदस्यों की सूची में था। वह भी वरिष्ठता क्रम में काफी ऊपर ।
बहरहाल हरीश धामी थोड़े शांत हुए लेकिन आशंकाएं उन्हें अब भी हैं। हरीश रावत की उपेक्षा के मामले पर दिल्ली जाकर हाईकमान से बात करने की बात कहने वाले धामी ने एक बार फिर दोहराया है कि वह दिल्ली जाकर बात करेंगे। उधर दिल्ली में हाईकमान को अपनी प्रदेश कार्यकारिणी की सूची देने वाले प्रीतम सिंह भी फिर दिल्ली जाने की बात कह रहे हैं लेकिन इस बार शिकायत के साथ। प्रीतम सिंह का कहना है कि उनकी दी गई सूची में आखिरी समय में छेड़छाड़ की गई थी और इसी वजह से हरीश धामी का नाम विशेष आमंत्रित से सचिव की सूची में आया था। अब प्रीतम सिंह ने दिल्ली जाकर संगठन मंत्री से यह पूछने का ऐलान किया है कि उनकी दी गई सूची में गड़बड़ भूलवश या हुई है या यह किसी का षड्यंत्र है। प्रीतम सिंह ने यह भी कहा है कि वह इस मामले पर पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिलेंगे।