ऑनलाइन गायब हो रहा गरीब का राशन

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आखिर कौन खा गया गरीब के हिस्से का अनाज।

इलाहाबाद के प्रयागराज जिले के मेजा तहसील के ग्रामीण आजकल पूर्ति विभाग की अजीब वायरल बीमारी से परेशान है। कोटे के राशन कार्ड ऑनलाइन होने के बाद कभी यूनिट घट जाती है तो कभी मुखिया का नाम ही साफ हो जाता है। ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन के बाद पूरी विभागीय प्रक्रिया ही जांच के घेरे में है किंतु गरीब कर घर मे चूल्हे को अभी भी राशन के  गेंहू और चावल का इंतजार है।
आंकित तिवारी
मेजा तहसील के ओता कुनिया और जरार तीन  गांव के ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि जन सेवा केंद्र में 200 से ढाई सौ  ₹ खर्च करने के बाद राशन कार्ड ऑनलाइन कराया गया था किंतु अगले ही महीने इनसे नाम और पता गायब हो रहा है,  राशन की दुकान पर जाने पर मालूम होता है कि या तो यूनिट कम हो गई है अथवा घर के मुखिया या सदस्यों  का नाम ही राशन की लिस्ट से हटा दिया गया है गुस्साए गांव के ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन कर सप्लाई इंस्पेक्टर का घेराव किया ग्रामीणों से घिरे पूर्ति विभाग के अधिकारियों ने मौके पर तो उक्त कमियों को दूर कर दिया किंतु अगले महीने राशन लेने जैसे ही दुकान पर पहुंचे तो फिर से वही कमियां शुरू हो गई।
 रामनगर के 80 वर्षीय रामखेलावन पटेल ने इसके लिए कोटेदार और प्रधान को जिम्मेदार बताया है वहीं 60 वर्षीय रमाशंकर निषाद जो कोहरार गांव के रहने वाले हैं ने  बताया कि पहले महीने उनकी राशन में कटौती की गई जबकि इस बार राशन की लिस्ट से ही उनका नाम गायब कर दिया गया है।
 सिरसा के 35 वर्षीय सतीश  पूरे सिस्टम को ही दोषी मानते है ।
उन्होंने  बताया की मौके पर अधिकारी तात्कालिक रूप से उक्त कमियों को ठीक करने का दावा करते हैं किंतु बाद में फिर हालात जस के तस हो जाते हैं।
 सप्लाई इंस्पेक्टर रामनरेश यादव ने बताया कि यह गलती ऊपरी स्तर से लखनऊ से ही चली आ रही है।  उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर में  ऑनलाइन करते समय एक भी जानकारी गलत होने पर फार्म ही  रिजेक्ट कर दिया जाता है । उन्होंने कहा कि समय पर टारगेट पूरा न होने के चलते खुद  विभागीय कर्मचारी भी जांच के घेरे में हैं।
 सत्ता परिवर्तन के बाद उत्तर प्रदेश में सपा के अखिलेश यादव की सरकार के खासम खास और सत्तारूढ़  बीजेपी के स्थानीय नेताओं की रस्सा कस्सी भी मामले की मुख्य कड़ी मानी जा रही है।
पारदर्शिता के लिए सरकार ने राशन वितरण के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया को अपनाया ताकि गरीब व्यक्ति के हिस्से का राशन बाजार में न बिक सके, परिवार के किसी भी सदस्य के दुकान पर उंगलियों के निशान आधार कार्ड के मैच होने के बाद ही राशन मिल सकेगी। किन्तु जब फार्म में ही अंट संट जानकारी पूर्ति विभाग के लोग भेज रहे है तो पूरी प्रक्रिया पर सवाल उठने लाजमी है।
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