कूड़ा बीनना छोड़ आजादी की परेड में सामिल, शिक्षक की प्रेरणा या ज्ञान का संगीत?

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कौन कहता है कि आसमा में छेद नही होता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।

इस कहावत को श्रीनगर की संगीता ने सच कर दिखाया है। समाज की मुख्य धारा से हट चुके , भीख मांग कर और कूड़ा बीनकर जिंदगी जी रहे बच्चों के अंदर स्वाभिमान के साथ ज्ञान की देवी सरस्वती का ऐसा संगीत भर दिया कि अब ये नौजवान आजादी की परेड में लोगो के बीच आकर्षण का केंद्र बनेंगे।

राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए संगीता ने 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस की परेड में सामिल करने के लिए इनकी प्रैक्टिस भी सुरु कर दी है । इन बच्चों की जिंदगी को यु टर्न देने वाली संगीता ने साबित करवा दिया कि बच्चे कच्चे घड़े की तरह है जिन्हें शिक्षक के साथ आम नगरवासियों के सहयोग से भी किसी खास शक्ल में ढाला जा सकता है।

हरीश असवाल
श्रीनगर गढ़वाल राजकीय प्राइमरी की शिक्षिका संगीता फरासी ने शनिदेव के नाम पर भीख माांगने व कुड़ा उठाने वाले बच्चों की ज़िंदगी को बदल कर रख दिया है।

उनकी पढ़ाई के लिये ख़र्चा व अतिरिक्त समय पर ख़ुद पढ़ाती है और उनकी इस पहल का ही असर है कि इस स्वतंत्रता दिवस पर छात्र/ छात्रा के साथ श्रीनगर गोला पार्क पर खानाबदोश बच्चे भी करेंगे परेड और देशभक्ति संस्कृति कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे
वरिष्ठ समाजसेवी प्रताप थलवाल ने इस तरह के कार्य की सराहनीय की और ख़ुद प्रेरणा लेते हुए भीख मगाने वाले बच्चों की मदद करने की संकल्प लिया ।
अध्यापिका संगीता फरासी पिछले 8 महीने से विद्यालय से छूटी होने के बाद भीख माँगने व कुड़ा उठाने वाले बच्चों को ख़ुद पढ़ाने उनकी झुग्गी पर जाकर प्रेरित किया और उनकी ज़िंदगी बदलकर स्वतंत्रता दिवस परेड के मुक्काम तक ले आयी ।

ये सरकारी कर्मचारी मैन्युअल में नही लिखा है बल्कि संगीता की स्व प्रेरणा से संभव हुआ है इसी तरह की पहल देश के हर कोने से सुरु हो तो मेरा देश बदलने के लिए किसी अन्य का मोहताज नही होगा। श्रीनगर में बह रहे संगीता के इस संगीत को हमारा सैल्युट।

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