क्यो 8 वर्ष का बालक करता है जनेऊ धारण? क्या है गायत्री मंत्र की शक्ति?

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संस्कृति दिवस के मौके पर उत्तरकाशी स्थित संस्कृत महाविद्यालय में बालको का निशुल्क यज्ञोपवीत करवाया जाता है।

हिंदुओ में 16 संस्कारों का बड़ा महत्व होता है, बच्चे के जन्म गर्भाधान संस्कार से लेकर मारने तक अंतिम संस्कार के रूप में मनुष्य की जिंदगी इन 16 संस्कारों के इर्द गिर्द घूमती रहती है। इन संस्कारों के अपने वैज्ञानिक मान्यताएं भी है जो अब सबके सामने आ रही है और लोग इनका महत्व भी धीरे धीरे समझने लगे है।

अनिल बहुगुणा

हिंदुओ के पवित्र 16 संस्कारो में से एक प्रमुख संस्कार यज्ञोपवीत संस्कार माना जाता है किंतु बदलती परिस्थितियों में लोग इसका महत्व भूलते जा रहे है। उत्तरकाशी संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य एमडी डंगवाल और सहायक प्रवक्ता अनिल बहुगुणा में बताया कि 8 वर्ष में प्रवेश के साथ ही बालक यज्ञोपवीत धारण कर सकता है। इसके साथ ही उसे 25 वर्ष तक विद्या अध्ययन के साथ ब्रह्मचर्य का पालन करने की दीक्षा दी जाती है। जनेऊ धारण करने के बाद बालक गायत्री मंत्र जप का अधिकारी बन जाता है। इसके साथ ही उसे चारो वेद अध्ययन की भी अनुमति मिल जाती है। इन चारों वेदों में ही सृष्टि का रहस्य छिपा हुआ है। इन चारों वेदों में ऋग्वेद में आयुर्वेद, साम वेद में गंदर्भ वेद अथवा गायन , यजुर्वेद में धनुष कला अर्थात शस्त्र विद्या, और अथर्व वेद में शिल्प कला अर्थात तंत्र विद्या का सार छिपा हुआ है।

उन्होंने बताया कि 14 अगस्त को बालको के केश अभिमंत्रित कर मुंडन क्रिया सम्पन्न की जाती है और 15 अगस्त को संस्कृत दिवस पर उन्हें गुरु मंत्र के साथ जनेऊ यज्ञोपवीत धारण करवाया जाएगा। विधालय में इस वर्ष प्रवेश लेने वाले नए छात्रों को इसी दिन यज्ञोपवीत संस्कार कराया जाता है।

इसके अलावा नगर अथवा देश प्रदेश से कोई भी बालक इस मौके पर जनेऊ संस्कार करवाना चाहे तो विधायलय में निशुल्क कराया जाता है। इस वर्ष 15 अगस्त के साथ श्रावणी पूर्णिमा और रक्षा बंधन के दिन संस्कृत दिवस मनाया जा रहा है।

श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय उत्तरकाशी मे आगामी 15/08/2019 को श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बन्धन के दिन (जिसे संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है ) विद्यालय में प्रविष्ट नवीन छात्रों का शास्त्रीय विधि से यज्ञोपवीत (जनेऊ) संस्कार महाविद्यालय की चली आ रही परंपरा के अनुसार सम्पन्न होनी है ।साथ ही यह भी सूच्य है कि कोई महापुरुष अपने पुत्र या पौत्र का इस पवित्र संस्कार को करवाना चाहता हो तो महाविद्यालय मे सम्पर्क करें ।इस संस्कार का पूरा व्यय महाविद्यालय परिवार द्वारा किया जाता है ।।जयतु संस्कृतं जयतु भारतम् ।।

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