क्षतिपूर्ति वनीकरण के लिए डिग्रेडेड फाॅरेस्ट लैंड की अनुमति होः सीएम

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-राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत खाद्यान्न के परिवहन का सम्पूर्ण व्यय का वहन भारत सरकार करें -पर्वतीय क्षेत्रों में भण्डारण क्षमता विस्तार में केंद्र से सहायता का अनुरोध।


देहरादून। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में आयोजित मध्य क्षेत्रीय परिषद की 22 वीं बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने प्रतिभाग किया।

गिरीश गैरोला

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि केन्द्र पोषित, बाह्य सहायतित और राज्य पोषित सभी योजनाओं में क्षतिपूर्ति वनीकरण के लिए डिग्रेडेड फाॅरेस्ट लैंड की अनुमति दी जाए। उत्तराखण्ड के लिए राज्य पुलिस आधुनिकीकरण राशि को बढ़ाया जाए। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत खाद्यान्न के परिवहन का सम्पूर्ण व्यय का वहन भारत सरकार द्वारा किया जाए। दाल पर दी जाने वाली सब्सिडी को जारी रखा जाए। पर्वतीय क्षेत्रों में भण्डारण क्षमता के विस्तार में सहायता उपलब्ध कराई जाए।

छत्तीसगढ़ के रायपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में मध्य क्षेत्रीय परिषद की 22 वीं बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने विभिन्न बिंदुओं पर राज्य के पक्ष को रखते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी शामिल हुए।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने केंद्र से दाल पर 15 रूपए प्रति किलोग्राम सब्सिडी को जारी रखने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में ‘मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना’ शुरू की गई है जिससे राज्य के 23 लाख राशनकार्ड धारकों के लिए प्रतिमाह 2 किलोग्राम दाल सस्ती दरों पर उपलब्ध कराई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत प्राथमिक परिवार और अन्त्योदय अन्न योजना में आवंटित खाद्यान्नों के परिवहन के लिए 100 रूपए प्रति क्विंटल की राशि दी जा रही है।

उत्तराखण्ड एक पर्वतीय प्रदेश है। यहां परिवहन लागत, मैदानी राज्यों की तुलना में कहीं अधिक आती है। वर्तमान में राज्य में खाद्यान्नों के परिवहन पर 237 रूपए प्रति क्विंटल लागत आ रही है। इसके कारण राज्य सरकार को इस पर प्रति वर्ष 65 करोड़ रूपए का अतिरिक्त व्यय करना पड़ रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत खाद्यान्न के परिवहन का सम्पूर्ण व्यय का वहन भारत सरकार द्वारा किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने राज्य के सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों में 55 हजार मीट्रिक टन की भण्डारण क्षमता के विस्तार के लिए भारत सरकार से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि हर साल अति वृष्टि, बर्फबारी, भूस्खलन को देखते हुए बरसात और सर्दियों के मौसम में पर्वतीय क्षेत्रों में 3 माह के लिए खाद्यान्नों का अग्रिम भण्डारण किया जाना बहुत जरूरी है।

राज्य में लगभग 2.5 (ढ़ाई) लाख मीट्रिक टन भण्डारण की आवश्यकता है परंतु वर्तमान में केवल 1.94 लाख मीट्रिक टन की ही भण्डारण क्षमता है।मुख्यमंत्री ने केन्द्र पोषित, बाह्य सहायतित और राज्य पोषित सभी योजनाओं में क्षतिपूर्ति वनीकरण के लिए डिग्रेडेड फाॅरेस्ट लैंड की अनुमति प्रदान किए जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा बी.आर.ओ. की सड़क योजनाओं और केंद्र सरकारध् केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों की परियोजनाओं में क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण के लिए डिग्रेडेड फाॅरेस्ट लैंड की अनुमति प्रदान की गई है। परंतु राज्य सरकार की वित्त पोषित योजनाओं में ऐसी अनुमति नहीं दी गई है। एक ही राज्य में मानकों की भिन्नता औचित्यपूर्ण प्रतीत नहीं होती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में टेरिटोरियल आर्मी की दो इकाईयां वृक्षारोपण और नमामि गंगे में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इनका सदुपयोग भूमि और जल संरक्षण के कार्यों में किया जा सकता है। इन कामों के लिए राज्य सरकार के पास कैम्पा निधि में धनराशि उपलब्ध है। परंतु प्रतिकरात्मक वन रोपण निधि अधिनियम 2016 के नियमों के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा कैम्पा निधि से टेरिटोरियल आर्मी की इन इकाईयों का वित्त पोषण नहीं किया जा सकता है। इसलिए केंद्र सरकार से अनुरोध है कि या तो संबंधित नियमों में आवश्यक परिवर्तन करते हुए राज्य सरकार को यह अधिकार दिया जाए। अथवा केंद्र सरकार के स्तर से राष्ट्रीय कैम्पा निधि से कराने की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने गृह मंत्रालय, भारत सरकार से राज्य पुलिस आधुनिकीकरण में सहायता राशि बढ़ाए जाने और इस राशि का उपयोग भवन व वाहन में किए जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया। केंद्र सरकार द्वारा बी.ए.डी.पी. (सीमावर्ती क्षेत्र विकास योजना) में राज्य पुलिस के लिए भी प्रावधान किए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। दैवीय आपदा की स्थिति में सहायता के लिए निर्धारित मानकों को पर्वतीय क्षेत्रों के अनुकूल बनाए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने आईटी एक्ट के बारे में सुझाव देते हुए कहा कि आई.टी. एक्ट में विवेचना कम से कम निरीक्षक रैंक के अधिकारी द्वारा की जा सकती है। निरीक्षकों की संख्या सीमित है। साईबर अपराधों की बढ़ती संख्या के दृष्टिगत उचित रहेगा कि विवेचना का अधिकार उपनिरीक्षक को दे दिया जाए। इससे साईबर अपराधों की विवेचना तेजी से हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि एन.डी.पी.एस. एक्ट की धारा 50 के तहत किसी व्यक्ति से ड्रग्स की बरामदगी के समय राजपत्रित अधिकारी द्वारा सर्च किया जाना अनिवार्य किया गया है। राजपत्रित अधिकारियों की सीमित संख्या होने से विवेचना में कठिनाई आती है। अभियुक्त माननीय न्यायालयों में इसका लाभ उठा लेते हैं। इसलिए इस प्रावधान में संशोधन पर विचार किया जाना उचित होगा।

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