देहरादून। 28 अक्टूबर को गंगोत्री व भैयादूज पर 29 अक्टूबर को यमुनोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने बताया कि दीपावली के अगले दिन अन्नकूट के पावन पर्व पर 28 अक्टूबर को सुबह से मां गंगा की विशेष पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी। पूर्वाह्न 11.40 बजे मंदिर के कपाट बंद कर 11.55 बजे गंगा जी की भोग मूर्ति को डोली यात्रा के साथ मुखबा के लिए रवाना की जाएगी।
इस दिन डोली यात्रा मुखबा मार्कण्डेय के निकट देवी मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी और अगले दिन मां गंगा की भोग मूर्ति को मुखबा स्थित गंगा मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
उधर यमुनोत्री मंदिर समिति के उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल ने बताया कि भैया दूज के पावन पर्व पर सुबह आठ बजे खरसाली से मां यमुना के भाई शनि महाराज समेश्वर देवता की डोली यमुना जी को विदा कराकर लाने के लिए यमुनोत्री रवाना होगी। दोपहर 12.25 बजे अभिजित मुहूर्त में यमुनोत्री मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर यमुना जी की उत्सव मूर्ति को डोली यात्रा के साथ खरसाली लाई जाएगी।
यहां विधि विधान एवं अनुष्ठान के साथ यमुना जी की मूर्ति को यमुना मंदिर में स्थापित किया जाएगा। धामों के प्रति लोगों में बढ़ती आस्था और चाक चैबंद यात्रा व्यवस्थाओं के चलते इस बार यमुनोत्री एवं गंगोत्री धाम रिकार्ड संख्या में तीर्थयात्री पहुंचे। बीते वर्षों से अब तक वर्ष 2011 में सर्वाधिक 9,47,259 तीर्थयात्री इन धामों तक पहुंचे थे,
जबकि इस बार कपाट बंद होने से तीन दिन पहले ही 9,93,314 तीर्थयात्री यमुनोत्री एवं गंगोत्री की यात्रा कर चुके हैं। इसमें 5,27,742 यात्री गंगोत्री और 4,65,572 यात्री यमुनोत्री पहुंचे हैं। बीच में वर्ष 2012-13 की आपदा के बाद यात्रा में भारी गिरावट आ गई थी।
गंगोत्री धाम में रविवार को दीपावली पर मां गंगा के साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा-अर्चना की जाएगी। मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल एवं सचिव दीपक सेमवाल ने बताया कि श्रीसूक्त मंत्रों से मां गंगा एवं लक्ष्मी जी की पूजा करने के साथ ही इस दिन बड़े पात्रों में गंगा जल को भी पूजा जाता है। शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद होने के बाद तीर्थ पुरोहित मां गंगा के इस प्रसाद को देश के विभिन्न क्षेत्रों में फैले अपने यजमानों तक पहुंचाते हैं।