गंगौत्री में ही जीवन बिताने वाले स्वामी सुंदरानंद ने जीवन के अंतिम वानप्रस्थ आश्रम में अपनी नाराजी त्याग कर 55 वर्ष बाद गंगोत्री मंदिर के दर्शन किये। मंदिर समिति और तीर्थ पुरोहितों के आमंत्रण और आग्रह पर भाव विह्वल स्वामी ने कहा कि ये स्वयं मा गंगा का आमंत्रण है लिहाजा ये तुरंत दर्शन को निकल पड़े।
गिरीश गैरोला।

वर्षों हिमालय की खाक छानकर इसकी झलकियों को कैमरे में कैद करने वाले साधु स्वामी सुन्दरा नंद ने अपनी नाराजी छोड़ 55 वर्ष बाद गंगोत्री मंदिर के दर्शन किये।मंदिर समिति और तीर्थ पुरोहितों ने स्वामी सुंदरानंद से इसके लिए आग्रह किया था। उम्र के इस पड़ाव में जब आँखों की रोशनी धुंदली पड़ने लगी और स्वास्थ्य भी साथ नही दे रहा है,

स्वामी जी पुरोहितों के इस आग्रह को साक्षात गंगा का आह्वाहन मानकर भाव विह्वल होकर निम के पूर्व प्राचार्य कर्नल अजय कोटियाल के साथ गंगोत्री मंदिर के दर्शन को चल दिये सोमवार सुबह उन्होंने विधि विधान से मंदिर में पूजा अर्चना की।बताते चले कि स्वामी वर्षों से गंगोत्री धाम में ही है, और हाल ही में उनके द्वारा करोड़ो की लागत से निर्मित हिरण्यगर्भा आर्ट गैलरी का निर्माण कर इसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को समर्पित किया गया था।

खुद सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत केंद्रीय मंत्री और आर एसएस के पदाधिकारियों के साथ गंगोत्री धाम में पहुँचे थे।ट्रैकर और फिर फोटोग्राफर से जिंदगी की सुरुवात करने वाले स्वामी सुन्दरा नंद ने हिमालय के दुर्लभ चित्रों का कलेक्शन किया है जिसमे गंगा और हिमालय का अलग अलग समय पर अलग भाव प्रदर्शित किया गया है।ओँ पर्वत और कैलाश पर्वत के खास अंदाज में लिए गए फोटोग्राप्स के बाद स्वामी चर्चा में आये थे। हिमालय से सुबह से श्याम तक के बदलते स्वभाव को कैमरे में कैद कर उसे एक पुस्तक के रूप में संकलित किया गया है।आर्ट गैलरी के निर्माण के दिनों कर्नल अजय कोटियाल के साथ स्वामी जी से गंगोत्री धाम में उनकी कुटिया में दर्शन का मौका मिला था उस वक्त बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि वर्षों पूर्व गंगोत्री मंदिर में उनका किसी बात विवाद हुआ था तबसे लेकर उन्होंने मंदिर के दर्शन नही किये हालांकि गंगा आए हिमालय से उनका लगाव और गहराता गया।गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने बताया कि उनकी पहल पर स्वामी जी ने आज वर्षों बाद गंगोत्री मंदिर के दर्शन किये है। मंदिर समिति से पूर्व में किसी नाराजी की बात को खारिज करते हुए सुरेश सेमवाल ने बतायाकि पूर्व में भी कई संत गंगौत्री धाम में राह चुके है जो वर्षों तक गंगा की धार को ही देखते रहे और ताउम्र नीचे नही उतरे।

