निम्न किराए के भवन में दम तोड़ते उच्च शिक्षा के सपने

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बेटी पढ़ाओ बेटी बढाओ के सपने को केवल इस नारे के सहारे किंतनी दूर तक बढ़ाया जा सकता है इस सवाल का जबाब राजधानी देहरादून आए दिल्ली के ऐसी कमरों की चिंतन बैठकों में देखा जा सकता है। जिस समस्या से इंसान खुद रूबरू हुआ हो उस पर बेहतर ढंग से चिंतन मनन किया जा सकता है किंतु राजधनी के निजी कान्वेंट स्कूल में पढ़ रहे लोगो को पहाड़ो की शिक्षा और स्वास्थ्य की अब्यवस्था , पहाड़ तोड़कर रोजी रोटी का जुगाड़ करने वाला छोटी जोत का पहाड़ी किसान भी नही बता सकता । क्योंकि उसे तो कुँवा खोदकर उस दिन की थाली की व्यवस्था जो पूरी करनी है, ऐसे में आने वाली अगली पीढ़ी को भी सपने देखने से पहले ही जगा दिया जा रहा है।

भगवान सिंह पौड़ी

पौड़ी जनपद के दूरस्थ क्षेत्र में शिक्षा के हालात कितने खराब हैं इसका अंदाजा पोखड़ा ब्लॉक में स्थित राजकीय महाविद्यालय से लगाया जा सकता है ये राजकीय ऐकर महाविद्यालय अपनी शिक्षा और मूलभूत सुविधाओ की बदहाली को बयां कर रहा है इस महाविद्यालय में एक ओर जहां शिक्षको की भारी कमी छात्र छात्राओ के भविष्य पर भारी पड रही है तो वहीँ दूसरी ओर ये महाविद्यालय आज भी किराये के भवन में ही संचालित हो रहा है जिसकी हालत अब काफी खराब और जीर्णसीर्ण अवस्था में है ऐसे में मूलभूत सुविधा न मिलने छात्र छात्राओ की संख्या में कॉलेज में साल दर साल लगातार घटती जा रही है पौड़ी जनपद के दूरस्थ क्षेत्र पोखड़ा में स्थित इस राजकीय महाविद्यालय में आज भी अंगेजी और अर्थशास्त्र जैसे महत्व्पूर्ण विषयो के अध्यापक मौजूद नही है जिससे छात्र छात्राओ का भविषय अधर में लटक गया है ऐसे में मजबूरन छात्र छात्राओ को इन विषयो की तैयारी घर पर ही करनी पड़ रही है वहीँ परीक्षा नजदीक आते है छात्र छात्राओ की दिक्कते अधूरी तैयारी पर और बढ़ने लगती है छात्र छात्राओ की माने तो वे आईएस पीसीएस की तैयारी करना चाहते हैं लेकिन शिक्षको की कमी के कारण उनकी तैयारी अच्छे से नही हो पाती है ।

अस्थाई प्रचार्य ही कालेज का जिम्मा सम्भाल रहे हैं पुराने भवन में संचालित होने से खस्ताहाल कमरो में पढाई कर रहे छात्र छात्राओ की दिक्कते बरसात के दिनों में और बढ़ जाती है छात्र छात्राओ ने सरकार से मांग की है की राजकीय महाविद्यालय में हर सहूलियत उन्हें दी जाये जिसके वे हकदार है जबकि कॉलेज के अस्थाई प्रचार्य ने बताया की सरकार के संज्ञान में कॉलेज की समस्याओ को रखने के लिए कई पत्र भेजे जा चुके हैं लेकिन आज तक इनका संज्ञान नही लिया गया है।

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