टैंक में दम तोड़ते सफाई कर्मी- कहाँ हैं स्वच्छता वीर?

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मौत से जूझता सेप्टिक टैंक सफाई कर्मचारी: घायलों को न मुआवजा, न स्वास्थ्यसेवा

स्वच्छता अभियान के बॉर्डर पर गंदगी से लड़ते सफाई कर्मियों को घायल होने के बाद न तो सरकार ने याद किया और न स्वच्छता अभियान पर पदम श्री लेने को उत्सुक एनजीओ ने। दिल्ली के भाग्य विहार में टैंक की सफाई करते समय 3 सफाई वीरो की मौत और दो घायलों को उनकी नियति पर छोड़ दिया गया है।


अंकित तिवारी भाग्य विहार, मदनपुर डबास, नयी दिल्ली:


7 मई 2019 को पश्चिमी दिल्ली के भाग्य विहार में एक सेप्टिक टैंक की सफाई में 2 लोगों की मौत हुई और 3 लोग घायल हो गए। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवार के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे और एक नौकरी की घोषणा की गयीजबकि घायलों को 5 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की गयी। अभी तक केवल मृतकों के परिवार को 10 लाख रुपये दिए गए हैं। घायलों को कोई राशि प्राप्त नहीं हुई है और न ही अब तक किसी को भी नौकरी दी गयी है।
घायलों में से एक, शेर सिंह, पुत्र तुला राम, उम्र चालीस वर्ष, अभी नाजुक स्थिति ममे हैं और संजय गाँधी अस्पताल में ज़िन्दगी और मौत के बीच जूझ रहा है। दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच (दशम) की टीम इस मामले की जांच करने भाग्य विहार पहुंची और पाया कि उसे सरकार की तरफ से न मुआवजा मिला है और न ही कोई चिकित्सा सुविधा।
शेर सिंह चार छोटे बच्चों के पिता और उनके परिवार में उनकी पत्नी के अलावा दूर-दूर तक कोई नहीं है जो इनकी देखरेख कर सके। इस घटना के बाद से शेर इंह बिस्तर से उठ नहीं पाया और उसकी पत्नी उसका चिकित्सीय खर्च उठाने और बच्चों को पालने के लिए भीख मांगने को मजबूर हो गयी है।
शेर सिंह को घटना के बाद केवल 10 दिन तक अस्पताल में रखा गया और ख़राब हालत के बावजूद उसे भर्ती करने से मना कर दिया गया। जांच में  फेफड़ों के संक्रमण पता लगा था लेकिन उसे सिर्फ पांच दिन की दवा देकर छोड़ दिया गया। अब से आजतक उसके घर कभी कोई सरकारी अधिकारी नहीं पहुंचा है और न ही पुलिस ने ही कभी उनकी खोज खबर ली है। सोनी एक बार अपने पति को लेकर अस्पताल कईं तो आपातकालीन वार्ड में उन्हें सिर्फ एक दिन की दवा देकर वापस भेज दिया गया। पुलिस ने इस घटना के दूसरे पीड़ित एवं ठेकेदार रामबीर को शेर सिंह का ध्यान रखने कहा लेकिन उसने भी इनकी कोई सुध नहीं ली।
15 जुलाई 2019 को दशम टीम को सोनी का कॉल आया और उसने बताया कि उसके पति मरणासन्न हैं। टीम ने 102 नंबर पर कॉल करके एम्बुलेंस बुलाने की कोशिश की लेकिन उन्हें बताया गया कि सारा एम्बुलेंस स्टाफ हड़ताल पर है। अंततः, टीम को वहां जाना पड़ा और पुलिस पीसीआर वैन लेकर शेर सिंह को अस्पताल ले जाया गया।
अस्पताल में शेर सिंह को भर्ती करवाने में भी हमें काफी जद्दोजहद का सामना करना पड़ा। काफी दबाव डालने के बाद अंत में रात 12 बजे अस्पताल वालो ने उसे भर्ती किया। अभी तक कोई सरकारी अधिकारी वहाँ नहीं पहुंचा है। स्थानीय विधायक को भी संपर्क करने के कई प्रयास किये गए लेकिन वे पहुँच के बाहर थे।
मीडिया और दिल्ली सरकार का इस मुद्दे कि तरफ ध्यान खींचने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया। इसमें कई मीडियाकर्मियों ने भाग लिया। वेद प्रकाश, अध्यक्ष, दिल्ली जल बोर्ड सेवर डिपार्टमेंट मजदूर संगठन और दशम की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने मीडिया को संबोधित किया। शेर सिंह की पत्नी पर कांफ्रेंस में मौजूद थी और उन्होंने मीडिया को अब तक की पूरी स्थिति से अवगत करवाया।
पीड़ित तथा उनके परिवार की तरफ से वेद प्रकाश जी और दशम टीम ने निम्नलिखित मांगें रखीं –
1.      दिल्ली सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए पीड़ित के परिवार से मिलने और स्थिति का जायज़ा लेने किसी अधिकारी को भेजा जाये।
2.      सरकार के द्वारा जिस 5 लाख के मुआवजे का वादा किया गया था वह तत्काल पीड़ित परिवारों को दिया जाये।
3.      दोषियों के ख़िलाफ़ चार्ज शीट दायर की जाए। मुआवजे की राशि में देरी के लिए स्थानीय विधायक, सुखबीर दलाल से भी सवाल किये जायें।
4.      हम दिल्ली सरकार से यह भी मांग करते हैं कि पीड़ित या उसके परिवार के सदस्य को कोई स्वास्थ्य परेशानी होने की दशा में उन्हें किसी भी अस्पताल में मुफ्त इलाज और DA/TA प्रदान किया जाये।
5.      इसके अतिरिक्त, परिवार की एकमात्र कमाऊ सदस्य होने के नाते सोनी को नौकरी दी जाये। जब तक उसे नौकरी नहीं मिलती है, उसे मासिक पेंशन प्रदान किया जाये जिससे वह अपने परिवार की देखरेख कर सके।

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