देहरादून। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल देहरादून ने दो साल के बच्चे की श्वासनली में फंसे मूंगफली के दाने को निकालकर उसकी जान बचाई। मूंगफली के दाने की वजह से बच्चे को श्वास लेना मुश्किल हो गया था, जिससे उसकी जान को खतरा पैदा हो गया था।
गिरीश गैरोला
पल्मोनोलॉजी विभाग में कंसल्टेंट डॉ. वैभव चाचरा ने बताया, बच्चा खाते समय खेल रहा था, जिसके कारण मूंगफली का दाना श्वासनली में फंस गया। इससे वह सांस नहीं ले पा रहा था। मैक्स अस्पताल में आयोजित पत्रकार वार्ता में डा. वैभव चाचरा ने बताया कि बच्चे के माता-पिता इलाज के लिए उसे अपने क्षेत्र (सहारनपुर) के सभी अस्पतालों में यहां से वहां दौड़ते रहे लेकिन छोटे बच्चे को कहीं से राहत नहीं मिली। एक दिन पहले ही उसे लेकर देहरादून आए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और इलाज के अभाव में हालत खराब होती गईं। उन्हें देहरादून के एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल से मैक्स अस्पताल भेजा गया, जहाँ वे शाम लगभग 6.45 बजे पहुंचे। उसके बाद उन्हें डॉ. वैभव चाचरा की देखरेख में भर्ती कराया गया, जो ऐसे मामलों से निपटने के लिए इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट और विशेषज्ञ हैं और पहले भी 9 महीने के बच्चे के गले में फंसे एलईडी बल्ब को सफलतापूर्वक बाहर निकाला था। उन्होंने तुरंत स्थिति का आकलन किया और अस्पताल आने के तीन घंटे के भीतर ऑपरेशन की व्यवस्था की और मूंगफली के दाने को सफलतापूर्वक निकाल लिया। इसके बाद न केवल दो वर्षीय छोटे बच्चे को बल्कि उनके परिवार ने भी राहत की सांस ली।
उन्होंने कहा कि मूंगफली के दाने ने पहले से ही बहुत नुकसान कर दिया था क्योंकि राज्य में कोई विशेषज्ञता न होने से इलाज में बहुत देर हो चुकी थी। वह दाना बुरी तरह से अटक गया था और बच्चा बिना रुके खांस रहा था और उसे निमोनिया भी हो गया था। इसलिए बिना देरी किए उसे हटाने के लिए तुरंत कदम उठाए गए। मूंगफली के दाने को शुरुआत में एक लचीली ब्रोन्कोस्कोप से हटाने की कोशिश की गई, जिसके बाद एक कठोर ब्रोन्कोस्कोपी का इस्तेमाल किया गया। इस प्रक्रिया में श्वासनली में एक कठोर स्कोप डालना शामिल है। विशेष उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए मूंगफली के दाने को निकालने की कोशिश की गई और इस दौरान बच्चे को वैकल्पिक व्यवस्था के जरिये ऑक्सीजन सप्लाई की गई। इसके बाद मूंगफली के दाने को छिलके सहित सफलतापूर्वक निकाल लिया गया। श्वासनली में बाहरी वस्तु फंसना आपात परिस्थिति होती है और इस पर तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। बाहरी वस्तु शरीर के वायुमार्ग के भीतर कई अलग-अलग स्थानों में फंस सकती है। ज्यादातर दाएं फेफड़ों में।
खिलौने, वनस्पति खाद्य पदार्थ जैसे कि मक्के का दाना, राजमा, बादाम, मूंगफली का दाना, धातु का खिलौना, सेफ्टी पिन जैसी वस्तुएं अक्सर फंस जाती है। डॉ. चाचरा ने तो एक बूढ़े व्यक्ति के शरीर से पहले डेंटल ड्रिल (आरसीटी पिन) भी निकाली है। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर और प्रख्यात गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट डॉ रविकांत गुप्ता ने कहा, “हमारे विशेषज्ञ- डॉ. वैभव चाचरा, कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी विभाग- विशेष रूप से कठोर और साथ ही लचीले ब्रोन्कोस्कोपी और इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी के क्षेत्र में प्रशिक्षित हैं। मैक्स-देहरादून में पल्मोनोलॉजी या इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुविधाएं उपलब्ध हैं फिर चाहे कोई बाहरी वस्तु हो या ट्रेकिअल स्टेंटिंग या गंभीर रूप से बीमार रोगी का प्रबंधन। उन्होंने (डॉ. चाचरा) पहले भी ऐसी आपात परिस्थितियों में आए मरीजों का इलाज कर चुके हैं।