देव भूमि की अपनी गढ़वाली/कुमाऊँनी/ज़ोनसारी लोक भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूचित में सामिल होने से पूर्व उत्तराखंडी नौजवानों के दिल मे शामिल करने को लेकर देश का दिल कही जाने वाली दिल्ली में बिभिन संगठनों द्वारा प्रयास जारी है। आने वाली पीढ़ी को अपनी बोली भाषा की समझ और उसे बोलने में गर्व महसूस हो इसके लिए लोक भाषा की क्लास लगाई जा रही है।
हरीश असवाल दिल्ली ।
*“उत्तराखंड में लोक भाषा लुप्त प्रवासी दिल्ली एन सी आर सिखाएँगे गढ़वाली /कुमाऊँनी* “ उत्तराखंड ।
गढ़वाली/कुमाऊँनी/ज़ोनसारी लोक भाषा को 8वीं राष्ट्रीय अनुसूची में शामिल हेतु विगत 3वर्ष से दिल्ली एन सी आर में ग्रीष्मक़ालीन कक्षाए 19 मई से 28 जुलाई तक पढ़ाई कराने की बैठक उत्तराखंड एकता मंच , उत्तराखंड लोक भाषा मंच द्वारा डी॰पी॰एम॰आई॰ में हुई और इस वर्ष किस तरह बच्चों को अच्छी लोक भाषा शिक्षा मिले और अपनी बोली भाषा , संस्कृति को कैसा बचाया जा सके सभी सामाजिक कार्यकर्ताओ/ साहित्यकरो एबम पत्रकारों ने अपनी अपनी जिम्मेदारीपूर्ण कक्षाए अलग अलग केंद्र में शूरु करने का संकल्प लिया और उत्तराखंड से धीरे धीरे लोक भाषा एबम संस्कृति लुप्त होने की कगार पर है जो की पलायन बड़ी तेजी से रूख ले रहा है लोक भाषा के साथ साथ पलायन को किस तरह रोका जा सकता है किस तरह से उत्तराखंड की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा संस्थाएँ इस मुहीम पर भी विचार गोष्ठी करेगी।