निर्भया के दोषियों को दिखने लगा फंदा फांसी का।

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निर्भया के गुनहगारों फांसी के फंदे के बीच की दूरी और कम हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दोषी अक्षय की रिव्यू पिटिशन को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साथ में यह कहा कि दोषी तय समय में दया याचिका के विकल्प का इस्तेमाल कर सकता है। हालांकि, रिव्यू पिटिशन खारिज होने का यह मतलब नहीं कि जल्द ही निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर लटका दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ट्रायल कोर्ट (पटियाला हाउस कोर्ट) में दोषियों के डेथ वॉरंट पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोषियों को नोटिस दिया और अगली सुनवाई 7 जनवरी के लिए तय कर दी।

हरीश असवाल ब्यूरो चीफ नई दिल्ली


ट्रायल कोर्ट में डेथ वॉरंट पर सुनवाई टली
सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन खारिज होने के कुछ ही घंटे बाद पटियाला हाउस कोर्ट में दोषियों को डेथ वॉरंट जारी करने को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने दोषियों को नोटिस जारी किया। डेथ वॉरंट को लेकर अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी। कोर्ट ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया के वे एक सप्ताह के भीतर दोषियों को नोटिस जारी कर उनसे पूछे कि क्या वे दया याचिका दाखिल करना चाहते हैं। कोर्ट ने निर्भया की मां से कहा, ‘हमें आपसे पूरी सहानुभूति है। हमें मालूम है कि किसी की मौत हुई है लेकिन यहां किसी अन्य के अधिकार की भी बात है। हम यहांअक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में उसका पक्ष रखने वाले वकील ए. पी. सिंह ने फैसले के बाद अदालत के बाहर जो कुछ भी कहा, उससे साफ है कि बचाव पक्ष मामले को लटकाने की कोशिश करेगा। निर्भया के दोस्त द्वारा मीडिया में बयान देने, पैनलों में बैठने के लिए कथित तौर पर पैसे लेने संबंधी एक पत्रकार के हाल में किए दावे का इसके लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। एपी सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले (रिव्यू पर नहीं) के बाद नए तथ्य सामने आए हैं कि निर्भया के दोस्त ने पैसे लेकर मीडिया को कहानियां बताई। उन्होंने कहा कि नए तथ्यों के आने के बाद नए सिरे से केस को सुना जाना चाहिए। अक्षय के अलावा बाकी 3 दोषियों ने अभी रिव्यू पिटिशन दाखिल नहीं की है। इसके जरिए भी बचाव पक्ष मामले को लटकाने की कोशिश कर सकता है।


निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद अब फांसी से बचने के लिए चारों दोषियों की उम्मीद उन 17 मामलों पर सुप्रीम कोर्ट के रुख पर टिक गई है, जिसमें कोर्ट ने फांसी को उम्रकैद में बदल दिया था। रिव्यू पिटिशन खारिज होने के बाद दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि वह आज या कल में क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करेंगे और सुप्रीम कोर्ट के सामने 2017 के बाद के उन सभी 17 मामलों की लिस्ट रखेंगे, जिसमेंरिव्यू पिटिशन अगर खारिज हो जाए तो मुजरिम क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट के वकील डीबी गोस्वामी बताते हैं कि क्यूरेटिव पिटिशन में जजमेंट पर तकनीकी तौर पर सवाल उठाया जा सकता है। जजमेंट के कानूनी पहलू को देखा जाता है और अगर किसी पहलू को नहीं देखा गया है तो उस मुद्दे को क्यूरेटिव पिटिशन में उठाया जाता है। अगर क्यूरेटिव पिटिशन भी खारिज हो जाए उसके बाद मुजरिम को दया याचिका दायर करने का अधिकार है।

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