विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि राज्य भर के आयुष पद्धति के अंतर्गत चिकित्सा शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों की फीस वृद्धि के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा 9 जुलाई 2018 को रोक लगाई गई थी, जिसमें 15 दिन के भीतर छात्रों से ली गई बढ़ी हुई फीस वापस करने के निर्देश सरकार को दिए गए थे। इस फैसले के खिलाफ अपील योजित की गई, जिसमें उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा 9 अक्टूबर 2018 के द्वारा पूर्व में पारित आदेश को बरकरार रखा गया। मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए श्री नेगी ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश का अनुपालन कराए जाने को लेकर शासन ने 22 मार्च 2019, 23 अप्रैल 201919, 22 नवंबर 19 व पिछले माह 31 जनवरी 2020 को कुलसचिव उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को कड़ा पत्र लिखकर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए, लेकिन सारे पत्र हवा-हवाई हो गए।
गिरीश गैरोला
नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा पूर्व में राज्य भर के आयुष पद्धति के मेडिकल कॉलेजों में अध्ययन कर रहे छात्रों की बीएएमएस की फीस 80,000 से बढ़ाकर 2,15,000 रुपए तथा बीएचएमएस की फीस 73,600 से बढ़ाकर 1,10,000 कर दी थी। नेगी ने कहा कि जब सरकार, उच्च न्यायालय के आदेश का लगभग डेढ़ साल में भी अनुपालन नहीं करा पाई, तो ऐसी निकम्मी सरकार को बर्खास्त किया जाना ही छात्र हित में होगा। मोर्चा राजभवन से त्रिवेंद्र सरकार की तत्काल बर्खास्तगी की मांग करता है। पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग विजय राम शर्मा, सुशील भारद्वाज आदि उपस्थित रहे।