पंचायत चुनाव पर बाबाओं ( विश्वनाथ और केदार) का प्रभाव।

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त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2019 के लिये प्रथम प्रकाशित सूची ने संभावित प्रत्यासियो के पैरों तले जमीन सरका दी है। लंबे समय से चुनाव की तैयारी में लगे प्रत्यासियो ने इस पर तर्कपूर्ण आपत्ति दर्ज कराते हुए आरोप लगाए है।

गिरीश गैरोला।

उत्तरकाशी जिला पंचायत सीट वार्ड 14 मथोली को इस बार भी आरक्षित किये जाने से नाराज पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष प्रदीप कैंतुरा ने डीएम और सीडीओ को शिकायती पत्र दिया है।चिन्यालीसौड़ विकासखंड की वार्ड 14 माथोली सीट की तुलना डुंडा वार्ड नंबर 7 के करते हुए प्रदीप ने आरक्षण पर कई सवाल उठाए है।उन्होंने कहा कि वर्ष 1996 से ही परिसीमन के बाद इस वार्ड के अधिकतर गाँव किसी न किसी रूप में आरक्षण की मार जबरदस्ती झेलने को मजबूर है।

मथौली वार्ड 2008 में महिला वर्ष 2014 में अनुसूचित जाति तो फिर से 19 में महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया जबकि डुंडा वार्ड 7 वर्ष 2008 में अनुसूचित महिला के बाद से वर्ष 2014 और 2019 में अनारक्षित ही रखा गया है।त्रिस्तरीय पंचायत  चुनाव में जन सांख्यिकी और चक्रीय आरक्षण में जनसंख्या को प्रमुख आधार बताया गया है, इस लिहाज से भी वार्ड 14 मथोलि में सामान्य जनसंख्या 57.32% हूं जबकि वार्ड 7 में मात्र 34.73 उसके बाद भी वार्ड 7 को दो बार अनारक्षित जबकी वार्ड 14 को लगातार आरक्षण में डाल दिया गया है। 14 नम्बर की इस सीट पर कोट प्रधान वीरेंद्र पंवार, मौघ से राजेन्द्र पंवार इंद्रा से कुलदीप राणा और बबिता महंत भी तैयारी कर रहे थे जिसमें राजेन्द्र पवार महिला पुरुष दोनों स्थिति में चुनाव कक तैयारी में थे, सूत्रों की माने तो निचले इलाके से तीन चार दावेदार थे जबकि ऊपरी इलाके से प्रदीप कैंतुरा और शैलेन्द्र महंत दोनों में से आपसी सहमति से एक को ही चुनाव लड़ने की बात तय हुई थी, ऊपरी इलाके का पलड़ा भारी देख नीति नियंताओ ने आरक्षण का ऐसा खेल खेला कि सभी तैयारियां चौपट हो गयी।नाराज प्रदीप कैंतुरा में इसके खिलाफ जरूरत पड़ने पर भुख हड़ताल सहित कोर्ट में चुनोती देने का अंतिम  फैसला सुरक्षित रखने की बात कही है।फिलहाल यमनोत्री विधान सभा मे बीजेपी कांग्रेश पार्टी की बात नही हो रही बल्कि पुरानी और नई बीजेपी पर गणित खेला जा रहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नामित डीपीसी मेम्बर रविन्द्र भंडारी डुंडा वार्ड 7 पर दृष्टि जमाये बैठे है जहाँ फिलहाल बिष्ट बन्दुओ का राजकाज चल रहा था अब देखना होगा कि बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद फलता है या बाबा केदार का वचन।

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