पतंजलि के आचार्य बालकृष्ण को पहाड़ी भोजन मूली का थिचवानी और कंडाली का साग खूब भाया, गौरतलब है कि पौष्टिकता से भरपूर ये पहाड़ी व्यंजन शुध्द आयुर्वेदक भी है।
मनोज सेमवाल केदारनाथ।
आज पतंजलि के आचार्य बालकिशन जी और उनके साथ 250 स्वामियों ने पहाड़ी किचन में दिन का भोजन किया । सुबह 0530 बजे यह दल केदारनाथ से सोनप्रयाग के लिए रवाना हुआ था और इनका पहला दल 0930 बजे सोनप्रयाग के पहाड़ी किचन में पहुंचा । पहाड़ी किचन में आज का दिन का खाना तैयार था।
जिसमे मूली का थिचवानी, कंडाली का साग, मंडुवे की पूरी और रोटी, गैथ का फ़ाणा, ककड़ी का रायता, झंगोरे की खीर, चावल और सलाद था, जलपान गृह में अरसे, रोटने, दाल के पकोड़े, चटनी और चाय थी । आचार्य बालकिशन जी 12 बजे के लगभग पहाड़ी किचन सोनप्रयाग पहुचे उन्होंने सभी खाने का स्वाद चखा, जिसमे से उन्होंने अरसे, रोटने, दाल के पकोड़े, चटनी और गढ़वाली पिसा हुआ नमक को साथ मे ले जाने को कहा, एक रिंगाल की छोटी कंडी में हमने उन्हें ये कलाऊ के रूप में भेंट किया ।