पत्नी भाजपा से और पति कांग्रेस से चुने गए निर्विरोध ब्लाॅक प्रमुख – बीजेपी के कांग्रेश मुक्त भारत अभियान को गहरा झटका।

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पौड़ी।

पति पत्नी के रिश्ते को हिन्दू धर्म मे सात जन्मों का बंधन माना जाता है जो विवाह के समय एक दूसरे की सहमति से ही जीवन के सभी निर्णय लेने की कसम खाते है। बदलते दौर में उपजी राजनैतिक परिस्थितियों में विवाह की इस धारा में उप धारा जोड़ने की जरूरत महसूस की जाने लगी है, ताकि पति पत्नी एक दूसरे की घूर विरोधी राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि मुखिया की भूमिका निभाते हुए आपसी सहमति से न्यूनतम सहमति अथवा सहभागिता वाले कार्यक्रम चला सके ।

विपरीत विचारधारा के दलों के सदस्य तो पति पत्नी को बनते देखा ही था अथवा जरूरत पड़ने पर दलबदल भी आम घटना समझा ही जा रहा था किन्तु पति -पत्नी के विपरीत विचारधारा के दलों के मुखिया की भूमिका में आने से बीजेपी के कांग्रेश मुक्त भारत के सपने को धक्का जरूर लगा होगा क्योंकि उसे इसकी सुरुवात अपने ही घर से करनी होगी।

पौड़ी जिले के दो ब्लाॅकों में पति-पत्नी निर्विरोध ब्लाॅक प्रमुख चुने गए, वे भी अलग-अलग राजनीतिक दलों से और वह भी निर्विरोध। पति जहां कांग्रेस से अधिकृत प्रत्याशी थे वहीं पत्नी भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी। पति और पत्नी दोनों के अलग-अलग सियासी पार्टियों से निर्विरोध ब्लाॅक प्रमुख चुने जाने से ये दंपति खासा चर्चाओं में है।

गिरीश गैरोला

ये दंपति है पौड़ी जिले के महेंद्र सिंह राणा और उनकी धर्मपत्नी बीना राणा। महेंद्र सिंह राणा पूर्व में भी कल्जीखाल के ब्लाॅक प्रमुख रह चुके हैं। इस बार उन्होंने द्वारीखाल विकासखंड को अपनी कर्मभूमि बनाते हुए द्वारीखाल ब्लाॅक से पहले क्षेत्रपंचायत सदस्य का चुनाव जीता और अब निर्विरोध ब्लाॅक प्रमुख चुने गए हैं।

महेंद्र सिंह राणा को कांग्रेस ने द्वारीखाल ब्लाॅक से अपना ब्लाॅक प्रमुख पद का अधिकृत प्रत्याशी बनाया था। जबकि महेंद्र सिंह राणा की धर्मपत्नी बीना राणा को भाजपा ने कल्जीखाल ब्लाॅक प्रमुख पद का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया था। बीना राणा भी निर्विरोध ब्लाॅक प्रमुख चुनीं गईं। एक विकासखंड की कमान पति के हाथ में तो दूसरे विकासखंड की कमान पत्नी के हाथ में। यह दंपति पूरे राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ हैं।

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