परिवहन निगम की करीब 285 करोड़ की संपत्ति बेचने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड परिवहन निगम की देहरादून स्थित संपत्ति को शहरी विकास विभाग को बेचने के कदम पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।  न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।

गिरीश गैरोला

उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि परिवहन निगम की देहरादून में साढ़े पांच एकड़ जमीन उपलब्ध है। परिवहन निगम की ओर से इस भूमि पर केंद्रीय कार्यशाला संचालित की जा रही है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि परिवहन विभाग की ओर से एक आदेश जारी कर इस जमीन को शहरी विकास विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि इस भूमि का बाजार मूल्य 285 करोड़ रुपये है। यूनियन की ओर से सरकार के पास प्रस्ताव रखा गया कि इस जमीन के बदले देहरादून स्थित अंतरराज्यीय बस अड्डा को परिवहन निगम को स्थानांतरित कर दिया जाए लेकिन सरकार ने यूनियन के प्रस्ताव पर कोई जवाब नहीं दिया है। इस बस अड्डा पर शहरी विकास विभाग का ही स्वामित्व है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि परिवहन निगम बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व मुख्य सचिव एम रामास्वामी की ओर से भी सरकार के इस कदम का विरोध किया गया। इसके बाद सरकार के इस कदम को यूनियन की ओर से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एमसी पंत ने बताया कि अदालत ने मामले को सुनने के बाद सरकार के कदम पर रोक लगा दी है। साथ ही सरकार को यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए गए हैं।

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