पशु भी बंधे है मर्यादा और शिष्टाचार में-कमलेशानंद जी महाराज।
अपने हिस्से का भोजन नही मिलने से जंगल के जानवर इंसानी आबादी के निकट पहुँच रहे है और इस स्थिति में उन्हें अपने हिस्से के लिए इंसान से संघर्ष भी करना पड़ रहा है।
उत्तरकाशी उजेली के पास दिव्य धाम से कामलेशनन्द महाराज की माने तो जानवर खानपान में मर्यादा और शिष्टाचार का पालन करते है। उन्होंने बताया कि पहले टोली के साथ बंदर उनके आश्रम में काफी उत्पात मचाते थे और लोगो को डराने का भी काम करते थे किंतु जब से उन्हें चना, मूंगफली, बिस्कुट केला आदि देना सुरु किया है तब से यही बंदर अब शांत हो गए है । बारी बारी से अपना हिस्सा लेकर जाते है, ये अपने टोली नायक के निर्देशों का पालन करते है और जो ऐसा नही करता है उसे टोली से बाहर कर दिया जाता है। आखिर जानवर जंगल से इंसानों के बीच क्यों आ रहे है और कब तक ये सब चलता रहेगा ?
कुछ भी हो किन्तु इंसानों के साथ जानवरो का घुलना मिलना इंसान के लिए दीर्घ काल के लिए कतई उचित नही कहा जा सकता। यह प्रकृति के नियमो के विरुद्ध भी है। प्रकृति ने सबके जीने लिए कुछ न कुछ सोच कर रखा है किंतु इंसान ने ही खुद इस चक्र को बिगाड़ कर रख दिया है। जिस दिन बंदरो को इंसान की कमजोरियों का पता चल जाएगा उसी दिन से वह इंसान पर हावी होने लगेगा।