नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं द्वारा राजघाट में चल रहे सत्याग्रह के बाद जल स्तर को स्थिर रखने ताकि वर्तमान में मध्य प्रदेश में डूब अधिक न बड़े इसलिए पहली बार पूर्ण क्षमता से बांध को न भरते हूए गुजरात सरकार ने सरदार सरोवर बांध के गेट खोल दिए है।
सरदार सरोवर बांध के दरवाजे रात में खोले गए इतिहास में पहली बार नर्मदा पर बने सरदार सरोवर बांध के गेट खुले हैं।
सरदार सरोवर बांध के गेट खोलने का आदेश*
राजघाट सत्याग्रह स्थगित।
अंकित तिवारी।
नर्मदा बचाओ आंदोलन का राजघाट सत्याग्रह गुरुवार-शुक्रवार की मध्यय रात्रि 2 बजे गुजरात सरकार द्वारा बांध के गेट खोलने का आदेश जारी करने और बड़वानी कलेक्टर के निम्न अश्वासनों पर स्थगित किया गया ।
- सभी प्रभावितों का सरकार और आंदोलन के प्रतिनियों के साथ जाईंट सर्वे करवाया जाएगा।
- सरकारी पुनर्वास समितियों में आंदोलन के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा।
- नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के मन्त्री से जल्द मुलाकात करवाई जाएगी।
नर्मदा के जल स्तर में मामूली कमी भी आई है। अभी जल नर्मदा का जलस्तर 131 मीटर से थोड़ा नीचे है।
आंदोलनकारियों ने कहा है कि – संघर्ष हर हाल में जारी रहेगा, जब तक हर प्रभावित का नीति अनुसार सही और संपूर्ण पुनर्वास नहीं हो जाता।
उन्होंने बताया कि 34 साल से वे अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं। जब तक सभी प्रभावितों आदिवासी, किसान, केवट-कहार, कुम्हार, पशुपालक और भूमिहीन मजदूरों को न्याय नहीं मिल जाता न रुकेंगें न झुकेंगें।
इससे पूर्व सरदार सरोवर बांध प्रभावित परिवारों द्वारा केंद्र सरकार और गुजरात सरकार द्वारा बिना पुनर्वास सरदार सरोवर बांध में 139 मीटर पानी भरने पर विस्थापितों ने जल, जंगल, जमीन बचाने को लेकर सत्याग्रह पर लगातार दूसरे दिन भी धरना जारी रखा था।
इस दौरान सत्याग्रहियों से कोई भी जवाबदार अधिकारी नहीं पहुँचा था, जबकि सत्याग्रह पर बैठे विस्थापितों का कहना था कि आज भी घाटी में 32,000 परिवार बसे हुए हैं जिनके उचित पुनर्वास की कोई भी उचित व्यवस्था नहीं की गई है। पुनर्वास स्थलों पर आज भी पीने का पानी, बिजली, सड़क जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पाये।
इस बीच SDM, तहसीलदार और अन्य अधिकारियों ने पुलिस बल के द्वारा राजघाट गांव के विस्थापितों के घरों , दुकानों में घुसकर उनको डरा धमकाकर ट्रैक्टर ट्राली में सामान रखकर टीनशेड्स में ले जा कर धरना समाप्त करने का प्रयास भी किया। प्रशासन द्वारा एक बूढ़ी महिला का घर खाली करवाया गया जबकि उसे घर बनाने के लिए मुख्यमंत्री की घोषणा अनुसार 5 लाख 80 रुपये न देते हुए टीनशेड्स में ले जाया गया और जिन दुकानदारों की दुकानें हटवाई गई उनको भी अभी तक दुकान के लिए भूखण्ड नहीं दिया गया था।
नर्मदा घाटी के विस्थापित अपनी मांगों को लेकर राजघाट गांव में सत्याग्रह पर बैठे थे डुब का पानी सत्याग्रह स्थल से मात्र कुछ ही दूरी पर होते हुए भी, न तो प्रशासन से और न ही सरकार की ओर से कोई सत्याग्रहियों से चर्चा के लिए पहुँचे थे।
सत्याग्रहियों का आग्रह था कि जबकि सभी का पुनर्वास नही हुआ है। ऐसे में हमारे घर, दुकाने, जमीने डुबाना गैर कानूनी है। इसलिए सरदार सरोवर के गेट खोल कर गांवो में पानी भरने से रोकना चाहिए।
इस दौरान कैलाश यादव, भगीरथ धनगर, बालाराम यादव, धनराज अवास्या, कमला यादव, सरस्वती बहन, मेधा पाटकर आदि मौजूद रहे।