उत्तरकाशी नगर में पालिका की छोटी सरकार के अस्तित्व में आने के बाद लोगो ने उनके वादे और भरोसे के दिन गिनने सुरु कर दिए है। कूड़ा निस्तारण में बड़ी सरकार के फेल होने पर खुद व्यवस्था करने की बात हो अथवा रामलीला मैदान में हरी घास उगाने की, या पालिका की संपत्ति पर अवैध कब्जों को हटाने की सब सुबह के समय देखे गए सपने से प्रतीत हो रहे है , क्योंकि वर्षो से घोटालो की ऊबड़खाबड़ सड़क पर बिना इन्सुरेंस ओर फिटनेस के चल रही पालिका की 14 गाड़ीयो को अध्यक्ष ने फिलहाल खड़ा तो कर ही दिया है। हालांकि इसका आरोप प्रशासक के सर मढ़ते हुए प्रदेश सरकार को भी घेरने की कोशिश की। प्रशासक पर 25 लाख रु सभागार में खर्च करने की बजाय सफाई व्यवस्था में खर्च करने की नसीहत भी देते हुए विधायक गंगोत्री को जबाब दिया । गौरतलब है कि पालिका के शपथ ग्रहण से पूर्व विधायक गंगोत्री गोपाल रावत ने इस सभागार को नजराने के रूप में पेश करने की बात कही थी।
https://youtu.be/6qnunF7EIOYstrong>कुड़े के बदइंतजामी के लिए मैं जिम्मेदार-पालिका अध्यक्ष।
नगर पालिका उत्तरकाशी का चुनाव जीतने के बाद पहली बार पत्रकारों से मुखातिब हुए चेयरमैन रमेश सेमवाल ने स्वीकार किया कि नगर के कूड़ा बिघ्न योग के लिए अध्यक्ष होने के नाते वे जिम्मेदार है हालांकि उन्होंने कहाँ कि उनके साथ प्रशासक और चुने हुए अन्य प्रतिनिधि भी इस जिम्मेदारी से बच नही सकते।
उन्होंने बताया कि जहाँ भी कूड़ा डाला जाता है वहाँ उसे बिना छंटाई के यू ही छोड़ दिया जाता है इसी वजह से लोग अपने आस पास कूड़ा डंप करनेका विरोध करते है। इसके बाद भी उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कूड़ा निस्तारण के लिए जमीन की बात की है।
सफाई नायक छोटे लाल की बड़ी बात पर सहमति जताते हुए अध्यक्ष ने कहा कि उत्तरकाशी का कूड़ा हर हाल में यही निस्तारित होगा ऋषिकेश या अन्य स्थानों पर नही जा सकता।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि दो महीने के भीतर नगर में कूड़ा निस्तारण की सभी मशीन लग जायेगी और कही पर भी कूड़ा बिखरा हुआ नही दिखाई देगा। कुड़े में कही भी बदबू नही होगी और मक्खी , बंदर सहित अन्य जानवर कुड़े पर दिखाई देना बीते दिनों की बात हों जायेगी। कूड़ा निस्तारण बंद शेड में आधुनिक मशीनों के साथ किया जाएगा।
राज्य वित्त और 14 वे वित्त का एक भी पैसा अन्यत्र खर्च नही होगा । जमीन उपलब्ध होते ही सारा बजट कूड़ा निस्तारण पर खर्च किया जाएगा उन्होंने कहा कि इस बजट से वे डंपिंग ज़ोन की बजाय प्रोसेसिंग सेंटर बनाएंगे। जहा हाथ के हाथ कुड़े का निस्तारण किया जाएगा कही भी कुड़े के ढेर नजर नही आएंगे।
रमेश सेमवाल ने बताया कि कुछ एनजीओ ने उनसे संपर्क किया है ।
कुड़े से बनेगी बिजली, जिसमे नगर पालिका की होगी हिस्सेदारी और स्ट्रीट लाइट फ्री हो जाएगी।
कूड़ा निस्तारण पर शासन या प्रशासन ने हाथ खड़े किए तो वे अपने स्तर से अविलंब कूड़ा निस्तारण करेंगे।
पौराणिक माघ मेला किसी एक संस्था का नही है। रमेश सेमवाल ने आपत्ति जताई कि जिस रामलीला मैदान के नियम 358 के तहत नगर पालिका देखरेख करती है उसपर खर्च करती है उस पर जिला पंचायत मेले का लुफ्त उठाती है। इसके विरोध में पालिका बोर्ड में प्रस्ताव पास कर शासन से बातचीत के बाद अगले वर्ष से माघ मेला जिला पंचायत की बजाय नगर पालिका आयोजित कराएगी।
नगर पालिका के जिस आधुनिक सभागार को विधायक गंगोत्री गोपाल रावत ने प्रशासक के कार्यकाल में अपनी उपलब्धि बताया था उस पर चेयरमैन ने तंज कसते हुए कहा कि इस 25 लाख रु को सफाई में खर्च किया होता तो ज्यादा बेहतर था। उन्होंने कहा कि हाल पूर्व में ठीक था और पालिका की इससे आय भी होती थी अब से बाबू साहब लोगो के ही काम कवृह गया है आम लोग इसका उपयोग नही कर सकेंगे।
नगर पालिका की सम्पत्तिनको जिस किसी ने भी व्यक्तिगत बनाने का प्रयास किया उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही होगी। नगर पालिका की हर संपत्ति पर नागरनक एक एक व्यक्ति का अधिकार है।
बिना इन्सुरेंस और फिटनेस के दौड़ रहे पालिका के वाहन।
नगर पालिका में कुल 14 वाहन ऐसे है जो नियमो को ताक पर रखकर संचालित हो रहे थे। अध्यक्ष ने निर्देश दिए कि बिना फिटनेस और इन्सुरेंस के चल रहे सभी वाहन को पालिका में खड़ा कर दिया जाय और मानक पूरे होने पर ही काम मे लिया जाय।
इससे पूर्व प्रशासक के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए रमेश सेमवाल ने कहा कि पूर्व में भी हालांकि पालिका बोर्ड रहा किन्तु हो सकता है उनकी सोच और समझ इतनी नही रही हो किन्तु प्रशासक के कार्यकाल में भी बिना फिटनेस और इन्सुरेंस के गाड़िया क्यों चलती रही ?
नगर में पार्किंग बनाना पालिका की प्राथमिकता में सामिल है और रामलीला मैदान का उपयोग केवल खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए ही किया जाएगा इसमें बस टैक्सी और ट्रको का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहाँ की रामलीला मैदान में हरी घास उगाई जाएगी।
बिजली विभाग की सेवा करोड़ की देनदारी के लिए नगर में टैक्स व्यवस्था की दूरस्थ किया जाएगा जो अब तक सुस्त पडी हुई थी।
अतिक्रमण और सरकारी संपत्ति के मामले में सभी पर एक ही कानून लागू होगा फिर चाहे व्यक्ति पालिका कभी कर्मचारी क्यों न हो।
शब्जी मंडी को अतिक्रमण नही मानते चेयरमैन हालांकि उसे शिफ्ट करने मेंकोई बुराई नही है।
रमेश सेमवाल ने बताया कि उनकी समझ से परे है कि शब्जी मंडी क्यों और कैसे तोड़ी गयी और फिर बनाई गई, और किसने मंडी निर्माण के लिए पैसे लिए इन सब सवालो का जबाब वे जल्द तलास कर लेंगे।
https://youtu.be/6qnunF7EIOY