3 मई को 9:15 पर खुलेंगे डोडी ताल मंदिर के कपाट।
मंदिर परिसर और झील भी बर्फ से है ढकी हुई।
गिरीश गैरोला
भगवान गणेश की जन्म स्थली है ड्यूटी ताल। इस वर्ष हुई भारी बर्फबारी का असर मंदिरों के कपाट खुलने पर भी साफ तौर पर देखा जा रहा है एक तरफ जहां उत्तराखंड के चार धाम यात्रा मार्ग अभी भी बर्फ से लक दक हैं , वही हिंदू समाज में प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश की जन्मस्थली डोडी ताल के कपाट खुलने में भी बर्फबारी अड़ंगा डाल सकती है।
मुख्य पुजारी डॉ राधे श्याम खंडूरी ने बताया कि डोडी ताल मंदिर समिति ने रविवार को बैठक कर निर्णय लिया कि मंदिर परिसर और आसपास मार्ग में जमा बर्फबारी को हटाने के व्यवस्था करने के बाद 3 मई 2019 को मंदिर के कपाट विधिवत रूप से श्रद्धालुओं के लिए खोल दी जाएंगे ।
मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि 2 मई को अगोड़ा गांव के पंचायती चौक में आसपास के सभी गांव नौगांव, गजौली , सेकु , भंकोली, dhasada, दण्डलका, से ग्रामीणों अगोड़ा गांव में एकत्रित होंगे ।
ठीक 11:00 बजे डोली यात्रा 17 किलोमीटर पैदल मार्ग पर प्रस्थान करेगी। रात्रि विश्राम डोडी ताल मंदिर परिसर में ही होगा ।
इस दौरान यात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए ग्रामीण और मंदिर समिति के अलावा दिल्ली से आने वाले श्रद्धालु अशोक गुप्ता द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भंडारा लगाया गया है।
बताते चलें पौराणिक मान्यता के अनुसार डोडी ताल में माता पार्वती ने अपने स्नान के दौरान किसी अन्य का प्रवेश वर्जित करने के लिए बालक गणेश को द्वारपाल बनाया था और जब गणेश ने भगवान शिव को ही अंदर प्रवेश नहीं करने दिया तो सिर की हाथों गणेश का मस्तक विच्छेदन किया गया था।
ड्यूटी ताल के पास ही मां अन्नपूर्णा का पौराणिक मंदिर स्थापित है जिसमें अन्नपूर्णा की मूर्ति के अलावा ड्यूटी गणेश की पाषाण मूर्ति विराजमान है मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि डोडी ताल में देश विदेश के पर्यटक हर वर्ष आते है लिहाजा धार्मिक दृष्टि के साथ साहसिक पर्यटन के लिहाज से भी डोडीताल यात्रा महत्वपूर्ण है।
https://youtu.be/5mVW70Dfe58