बालिकाओं को निर्णय की स्वतंत्रता देना आवश्यक : मुख्यमंत्री
- संकोच को दूर करके बेटियां जीवन में प्रगति कर सकती है।
- कन्या भ्रुण हत्या सबसे बड़ा पाप, पिछले दो वर्षों में राज्य में बालिका लिंगानुपात में काफी सुधार।
- मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य स्थापना सप्ताह के अंतर्गत श्रीनगर में महिला सम्मेलन में प्रतिभाग किया।
- सम्मेलन में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा, अभिनेत्री श्रीमती हिमानी शिवपुरी, केबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल, उच्च शिक्षा मंत्री श्री धन सिंह रावत, जागर गायिका श्रीमती बसंती बिष्ट, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने भी प्रतिभाग किया।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि हमें बालिकाओं को स्वतंत्रता देनी होगी। उनकी क्षमताओं पर विश्वास करना होगा। संकोच, जीवन की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है। बेटियों को संकोच नहीं करना चाहिए। जब संकोच दूर होगा तभी प्रगति होगी। मुख्यमंत्री ने कन्या भ्रूण हत्या को बहुत बड़ा पाप बताते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों में राज्य में बालिका लिंगानुपात में काफी सुधार आया है।
गिरीश गैरोला।
सोलर और पिरूल पावर प्रोजेक्ट से बदलेगी पहाड़ की तस्वीरमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में 62 ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी दी है। ये ग्रामीण विकास के महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र साबित होंगे। पर्वतीय क्षेत्रों में खेती को जंगली जानवरों द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है। इसका विकल्प भी खोजना है। अदरक, लहसुन, हल्दी की खेती को अपनाया जा सकता है। पहाड़ में सोलर पावर प्रोजेक्ट और पिरूल से बिजली बनाने के लिए प्रोजेक्ट आवंटित किए गए हैं। चीड़ जो कि विनाश का प्रतीक था, जल्द ही रोजगार में सहायक होगा।
आगे बढ़ने के लिए मंथन जरूरीमुख्यमंत्री ने कहा कि सुधार के लिए राजनीतिक हितों से ऊपर उठना होगा। आगे बढ़ने के लिए मंथन करना जरूरी है। इस वर्ष राज्य स्थापना सप्ताह के अंतर्गत रैबार, सैनिक सम्मेलन, महिला सम्मेलन, युवा सम्मेलन आदि कार्यक्रम इसी उद्देश्य से किये गये। ऐसे कार्यक्रमों से नीति निर्धारण और व्यवस्था परिवर्तन में सहायता मिलती है। ग्राउन्ड पर काम करने वाले और नीति निर्धारण करने वाले जब एक मंच पर मिलते हैं तो इससे राज्य व समाज के विकास की दिशा निर्धारित होती है।
महिलाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएराष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड में महिलाओं की स्थिति पहले से अच्छी है। यहां की महिलाएं जुझारू हैं। उत्तराखण्ड निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। पर्यावरण संरक्षण में यहां की महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है। कृषि और पशुपालन में मुख्य रूप से महिलाएं ही काम करती हैं। महिलाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। राज्य स्थापना सप्ताह के अंतर्गत श्रीनगर में महिला सम्मेलन आयोजित किए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि 20-25 साल पहले महिलाओं के विकास के लिए बात नहीं होती थी।
महिलाओं से ही पहाड़ का अस्तित्वअभिनेत्री श्रीमती हिमानी शिवपुरी ने कहा कि पहाड़ को अगर किसी ने बचाया है तो वह महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की कला और लोक कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाए जाने की जरूरत है। यहां बेहतरीन फिल्में बनें जिन्हें कि देश विदेश में देखा जाए। सरकार से अपील की कि महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा जिम्मेदारी उन्होंने पलायन को लेकर अपनी लिखी कविता भी सुनाई।
अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी ने गढ़वाली में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आंदोलन में महिलाओं की अहम भूमिका रही है। इस सम्मेलन में जो भी सुझाव मिलेंगे, उन्हें पूरा करने के लिए सरकार कोशिश जरूर करेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी महिलाओं के लिए कई योजनाएं बनाने की बात करते हैं। उनका महिलाओं को फायदा जरूर मिलेगा।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व अन्य अतिथियों ने जिलाधिकारी पौड़ी श्री धीरज सिह गर्ब्याल की पहल पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एवं राष्ट्रीय पोषण अभियान, महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग पौड़ी के तहत महिला समूह द्वारा बनाए गए झंगोरा लड्डू का स्वाद चखा और उसकी तारीफ की।
कार्यक्रम में राज्य सरकार में केबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल, उच्च शिक्षा मंत्री श्री धन सिंह रावत, जागर गायिका श्रीमती बसंती बिष्ट भी मौजूद थे।
कार्यक्रम में तीन सत्र आयोजित किए गए। पहला सत्र पहाड़ और पीड़ा व मातृशक्ति की चुनौतियां, दूसरा सत्र मातृशक्ति व पहाड़ी अर्थतंत्र की रीढ़ और तीसरा सत्र उम्मीद की किरणें-विभिन्न क्षेत्रों में पहाड़ का नाम रोशन करती मातृशक्ति विषय पर था।