महाकुम्भ से निकले अमृत के लिए मारामारी तो विष ग्रहण करने को नीलकंठ की तलाश ?
विभागों में आपसी तालमेल न होने की सजा मासूम बच्चों को।
ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता एक दिन पूर्व हु कर दी सम्पन्न।
महा कुम्भ से छलका विष, मासूम बच्चे हुए शिकार।
गिरीश गैरोला।
उत्तरकाशी में राज्य सरकार की महत्वाकाक्षी योजना खेल महाकुंभ को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता निर्धारित तिथि से एक दिन पूर्व ही सम्पन्न कर दी गयी। लंबे समय से खेल की तैयरिंकर रहे छात्र जब इसमें हिस्सा नही ले पाए तो उनका मनोबल टूटना लाजमी था। स्कूल की शिकायत पर डीएम ने संबंधित को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए समाधान निकालने के निर्देश दिए है।
राज्य सरकार ने ग्रामीण स्तर पर ही खेल प्रतिभाओ को निखारने और उन्हें मंच प्रदान करने के उद्देश्य से न्याय पंचायत स्तर से ब्लॉक स्तर , जिला स्तर, और फिर राज्य स्तर पर प्रतिभाग करने का मौका देने के लिए खेल महाकुम्भ का आयोजन किया। जिसमें न्याय पंचायत स्तर पर शिक्षा विभाग के साथ ब्लॉक और जिला स्तर पर युवक कल्याण एवं प्रांतीय राक्षक दल को खेल महाकुम्भ जिम्मेदारी दी गयी थी।
स्वामी विवेकानंद फाउंडेशन स्कूल गनेशपुर के शिक्षक राममोहन ने बताया कि खेल महाकुम्भ का आयोजन 19 और 20 दिसंबर जीआईसी में हुआ था जिसने उनके स्कूल से शम्भू मखलोगा ने 100 मीटर रेस में प्रथम स्थान पाया जिसे ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता में सामिल होने के लिए 24 दिसंबर की तिथि बताई गई। विकास खंड शिक्षा अधिकारी भटवाड़ी के पत्रांक 9948-77खेल महाकुम्भ /2018-19 दिनांक 15 दिसंबर 2018 के माध्यम से सभी ब्लॉक के स्कूलों को 24 दिसंबर को ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता होने की सूचना दी गयी। किन्तु बिना किसी अन्य सूचना के ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता एक दिन पूर्व 23 दिसंबर को ही आयोजित कर दी गयी ऐसे में लंबे समय से खेल महाकुम्भ के लिये तैयारी कर रहे छात्र इसमें प्रतिभाग करने से वंचित रह गए। बच्चों का मनोबल टुटा तो स्कूल प्रबंधन ने डीएम से इसकी लिखित शिकायत कर दी।
डीएम उत्तरकाशी dr आशीष चौहान ने डीओ पीआरडी को उक्त मामले पर कारण स्पष्ट करने और मामले का निस्तारण करने के निर्देश दिए तो प्रभारी डीओ पीआरडी विजय प्रताप भंडारी ने बताया कि ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता समिति के अध्यक्ष वीडिओ होते है उनके स्तर से जो पत्र जारी किया गया था उसमें ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगीतांकि तिथि 23 ही अंकित की गई थी जबकि शिक्षा विभाग की तरफ से जारी चिट्टी में संभावित तिथि का उल्लेख किया गया था। बहरहाल हंगामे के बाद वंचित छात्रों को भी इसमें प्रतिभाग करने के लिए एक मौका देने की बात कही जा रही है। डीएम से संपर्क नही होने से उनका मंतब्य पता नही चल सका।
खैर देव और दानवों के बीच भी समुद्र मंथन से निकले रत्नों को लेने के तो खूब होड़ मची थी और बारी बारी से सभी ने मंथन से निकले रत्नों को आपस मे बांट भी लिया था किंतु मंथन से निकले हलाहल को लेकर दोनों में खूब विवाद हुआ और विष को ग्रहण करने के लिए कोई भी राजी नही हुआ । ऐसे में एक बार फिर भोले शंकर को ही यह विष ग्रहण कर नीलकंठ नाम भी ग्रहण करना पड़ा । अब देखना है कि इस खेल महाकुम्भ से कौन कौन से रत्न किस किस के हिस्से में आते है जबकि इस विष का प्रतिभागियों पर कितना असर पड़ता है।
https://youtu.be/kwW19hjrDwk