शाहिद की आत्मा ने मुख्य मंत्री से क्यों जताई नाराजगी? – 62 में चीन युध्द हीरो जसवंत सिंह का बताया अपमान- विधायक लैंसडाउन ने क्यों बोला झूठ।

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1962 भारत चीन यूद्ध के हीरो जसवंत सिंह को भले ही भारतीय सेना उनके शाहिद होने के बाद से आज तक भी उन्हें ड्यूटी पर

https://youtu.be/pLdXFurX84g

दिखाती है उन्हें प्रमोशन देकर उनके प्रति सम्मान देकर अन्य सैनिकों में प्रेरणा भरने का काम करती है, वही इस जाबांज के पैतृक गांव पौड़ी जिले के बीरोंखाल के बाडयू के लोग उत्तराखंड सरकार और मुख्य मंत्री से नाराज है। दरअसल 17 नवंबर को इस जांबाज जिसे लोग अब बाबा जसवंत सिंह के नाम से पुकारते है, का 58 वा शहीदी दिवस था इस मौके पर इनके पैतृक गांव में तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किये गए थे । कार्यक्रम में बुलावे के बाद भी मुख्यमंत्री ने नही आने को लोगो ने बीर सैनिक का अपमान बताया इतना ही नही गाँव के पास ही दुनाउ लघु जल विधुत परियोजना का नाम इस जाबांज सैनिक के नाम पर नही रखने से भी नाराजी दिखाई। उन्होंने बताया कि जसवंत सिंह का स्मारक सड़क की किनारे अतिक्रमण के बीच बनाकर उसका अपमान न करे। सीएम के कार्यक्रम में न आने पर विधायक लैंसडाउन दिलीप रावत भी इस बीर सैनिक के गाँव नही गए बल्कि सीधे कार्यक्रम स्थल पर पहुँच गए। मुख्यमंत्री के न आने के सवाल पर विधायक दिलीप रावत ने कहा दिया कि इस कार्यक्रम में सीएम को बुलाया ही नही गया था जबकि कार्यक्रम के आयोजक हीरो ऑफ नेफा जेएससार मेमोरियल ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने साफ कहा कि सीएम को इस कार्यक्रम में बुलाया गया था, जाहिर है कि विधायक झूट बोल रहे है।

अब बाद सवाल ये कि पूरा देश जिस जाबांज सैनिक की बीरता के सम्मान में कसीदे पढ़ रहा है उसका अपने ही घर मे में ऐसा अपमान क्यों हो रहा है।

पौड़ी से भगवान सिंह की रिपोर्ट।


महिला पर अवतरित हुई शहीद की आत्मा मुख्यमंत्री् सेे जताई नाराजगी।


1962 भारत चीन युध्द के जांबाज हीरो ऑफ नेफा

300 से ज्यादा चीनी सैनिकों को अकेले मार डालने वाला योद्धा,”72 आवर्स” बैटल हीरो,शहीद जसवन्त सिंह रावत का कल 17 नवम्बर को 58 वां शहीदी दिवस था,इस अवसर पर उनके पैतृक गाँव बाड्यूं ,बीरोंखाल में 15 से 17 नवंबर तक बॉलीबाल प्रतियोगिता ,सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता और मेले के अन्तिम दिन 17 नवम्बर को उनके शहीदी दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया,

सुबह उनके गाँव से बाबा जसवन्त की डोली विशाल जुलूस के रूप में बाबा जसवन्त का जयघोष करते हुये रवाना हुयी, इससे पहले गाँव मे एक स्थानीय महिला जिन पर बाबा की आत्मा प्रकट होती है ने 17 दिसम्बर 2017 को मुख्यमंत्री टीएसआर द्वारा गाँव के नीचे स्थित दुनाऊ लघु जल विधुत परियोजना का लोकार्पण शहीद के नाम पर न करते हुये किसी अन्य के नाम पर करने पर सीएम त्रिवेन्द्र रावत पर अपना रोष प्रकट किया और त्रिवेन्द्र के कदम इस क्षेत्र में न पड़ने की बद दुआ दी

,कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नहीं पहुँचे और स्थानीय विधायक दिलीप रावत ने भी शहीद के गाँव न पहुंचते हुये सीधे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना ही बेहतर समझा,

शहीद के परिजन और स्थानीय लोगों की प्रमुख माँग दुनाऊ जल विद्युत परियोजना को शहीद के नाम पर करने और शहीद के नाम स्मारक के नाम पर लगाये गये पत्थर ,जिसको सड़क किनारे बहुत ही अपमानजनक ढंग से स्थापित किया गया है, के बारे में मीडिया के तीखे सवालों से विधायक बौखला गये और झूठ बोलते हुये ऑन कैमरा पकड़े गये कि सीएम त्रिवेन्द्र रावत को कार्यक्रम में आमन्त्रित नहीं किया गया था! जब इस बारे में कार्यक्रम के आयोजक हीरो ऑफ नेफा जेएससार मेमोरियल ट्रस्ट के अधिकारियों ने यह कहकर झूठा साबित कर दिया कि सीएम त्रिवेन्द्र को कार्यक्रम में बाकायदा आमंत्रण दिया गया था,

शहीद जसवन्त सिंह जो कि एक नेशनल ही नहीं एक अन्तराष्ट्रीय हीरो हैं ,जिनको जीवित मानते हुये सेना उन्हें आज भी इंक्रीमेंट,प्रमोशन और छुट्टियां देती है,अपने वीर सैनिक को सम्मान देने के लिये गढ़वाल राइफल अपने बैगपाइपर बैंड को शहीद के गाँव भेजती है,जिनके शौर्य की गाथा आज भी अरुणांचल प्रदेश की नूरानांग की पहाड़ियां आज भी गुनगुना रही हैं और उन्हें मन्दिर बनाकर देवता के रूप में वँहा पूजा जाता है,जिनका बलिदान देश के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र होना चाहिये था,उस महावीर चक्र विजेता अपने तरह के विश्व में अकेले योद्धा बाबा जसवन्त का उनकी ही जन्मभूमि में ऐसा अपमान क्यों??


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