उत्तराखंड में स्थायी राजधानी गैरसैण को लेकर राजनैतिक सरगर्मियों में रहने वाले राजनैतिक दल अपनी बारी आने पर कैसे यु टर्न ले लेते है इसका उदाहरण इस बार के शीतकालीन विधानसभा सत्र को लेकर सीएम के ताजा बयान से देखा जा सकता है। जानकारी में आया कि मुख्यमंत्री ने यह कहकर गैरसैण को खारिज कर दिया कि कुछ प्रतिनिधियों की उम्र कड़कती शर्दी के माफिक नही है।
लिहाजा पूर्व मुख्यमंत्री हरदा ने बर्फवारी के बीच अपनी उम्र को परखने के मन बनाया है। इधर सुविधा सम्पन्न राजधनी देहरादून में सत्र होगा उसी दौरान गैरसैण में हरदा उपवास करेंगे जिसके बाद ये तय हो जाएगा कि किस उम्र के प्रतिनिधि कितनी ठंड सहन कर सकते है साथ ही हरदा को रिटायर होने की उम्र का हवाला देने वालो को अगली बार उनकी उम्र को लेकर कोई कॉमेंट करने से पूर्व दस बार सोचना पड़ेगा।
साभार वेद भदोला वरिष्ठ पत्रकार
पूर्व मुख्य मंत्री हरदा ने ऐलान किया है कि चार दिसंबर को जब कड़कड़ाती ठंड में देहरादून में विधानसभा सत्र चल रहा होगा, तब वे गैरसैंण में उपवास पर बैठेंगे।
दरअसल, 19 साल के युवा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को डर था कि कुछ बुजुर्ग विधायकों को गैरसैंण की ठंड रास नहीं आयेगी। यानि भाजपा के मुख्यमंत्री ने गैरसैंण राजधानी को सिरे से ही खारिज कर दिया है।
क्या होगा तब, अगर कांग्रेस गैरसैंण को स्थाई राजधानी ही घोषित कर दे। तब तो विधायकी के लिए ठंड सहना भी एक अनिवार्य योग्यता हो जायेगी।