रेप करने वाले कि जाति देखकर मिलेगी पीड़िता को आर्थिक मदद।
सवर्ण द्वारा अत्याचार किये जाने पर ही पीड़ित परिवार को मिलेंगे सवा आठ लाख।
अनुसूचित जाति के आरोपी द्वारा रेप और हत्या को अत्याचार नही मानता समाज कल्याण विभाग।
गिरीश गैरोला।
रेप और हत्या जैसे अपराधों में आरोपी की जाति के आधार पर पीड़िता को आर्थिक मदद दिए जाने वाले कानून को बदलने की मांग अब जोर पकड़ने लगी है। मामला उत्तरकाशी के डुंडा ब्लॉक के भकड़ा गाँव का है , जहाँ 12 वर्ष की नाबालिग को रात के अंधेरे में सोते हुए उनके माँ बाप के बीच से उठाकर आरोपी ने न सिर्फ उसका रेप किया बल्कि बर्बरता पूर्वक शरीर को यहाँ वहाँ से काटकर हत्या को अंजाम दिया। अपराध किसी जाति विशेष के व्यक्ति होने से कम या ज्यादा नही हो सकता किन्तु समाज कल्याण विभाग का कानून तो यही कहता है कि पीड़ित परिवार को 8 लाख 25 हजार की मदद तभी मिल सकेगी जब अत्याचारी सवर्ण हो। (वीडियो देखें)
https://youtu.be/9nv0AWlM6xc
लिहाजा अनुसूचित जाति के आरोपी होने से पीड़ित परिवार आर्थिक मदद से वंचित हो गया जिसकी उसे इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरत थी।
विगत माह उत्तरकाशी के भकड़ा गाँव मे रेप के बाद बर्बरता के साथ हत्या कर दी गयी मासूम के परिजनों को कानूनी अड़चन के चलते सिर्फ इसलिए मदद नही मिल सकी क्योंकि इस बच्ची के साथ अत्याचार करने वाला व्यक्ति भी अनुसूचित जाति से ही था।
अब सवाल ये है कि अनुचित जाती का होने से बच्ची के साथ हुआ अत्याचार कुछ कम हो जाता है अथवा कोई सवर्ण इसी जघन्य अपराध को अंजाम देता तो अपराध की श्रेणी बढ़ जाती या अत्याचार तभी माना जायेगा जब आरोपी कोई सवर्ण हो?
इस कानूनी अड़चन के चलते पीड़िता के परिवार को कोई मदद नही मिल पा रही है। मुख्य मंत्री द्वारा दिये जाने वाली राशि भी पीड़ित परिवार को अभी तक नही मिल सकी है।
जिला समाज कल्याण अधिकारी उत्तरकाशी हेमलता पाण्डे ने बताया कि कानून में ऐसा प्रविधान है कि किसी अनुचित जाती जनजाति की महिला के साथ कोई सवर्ण अत्याचार करे तभी पीड़ित परिवार को समाज कल्याण से 8 लाख 25 हजार की धनराशि अनुसीचित जाती जन जाति अत्याचार निवारण अधियनियम में दी जा सकती है। यदि कोई अनुचित जाती जनजाति का व्यक्ति किसी अनुसूचित जाति की महिला के साथ रेप और हत्या करे तो कानूनन उसे यह मदद नही मिल सकती। उन्होंने कहा कि कानून की विवेचना और व्याख्या के लिए वे खुद आज विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क करने बैठक में देहरादून जा रही है।
गंगोत्री के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण ने भी पीड़ित परिवार को मदद न दिए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है उन्होने कहा कि अपराधी सिर्फ अपराधी होता है किसी जाति विशेष का होने से अपराध की श्रेणी कम ज्यादा नही हो जाती । लिहाजा उन्होंने जाती आधार पर बने हुए इस कानून में परिवर्तन की मांग उठाई है। वीडियो देखें।
अब कानून में ही समाज को जाति में बांटने और अपराधियों के अपराध की श्रेणी भी उनकी जाति के आधार पर तय होने लगे तो विकास की दिशा समझी जा सकती है किस तरफ होगी।