मुख्य मंत्री के ग्रह जनपद में क्यों छात्र सुसाइड को मजबूर – हाजिरी कम होने पर काट दिया नाम

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पौड़ी जनपद के पोखड़ा ब्लॉक के जनता इंटर कॉलेज कमलपुर संगलाकोटी में छात्र-छात्राओं के उत्पीड़न के लगातार मामले प्रकाश में आ रहे हैं, पिछले दिनों यहां के दसवीं कक्षा के एक छात्र ने स्कूल से नाम काटे जाने की वजह से आत्महत्या कर ली थी और अब स्कूल की 12वीं की एक छात्रा संध्या बिष्ट का भी नाम काट दिया गया है, जिसकी वजह से यह बालिका सदमे में है। संध्या की मां जीवित नहीं है और पिता मानसिक रूप से विकलांग है, ऐसे में उसकी बूढी गरीब दादी किसी ढंग से उसका और उसकी दूसरी छोटी बहन का भरण पोषण कर पढ़ाई लिखाई कर रही है

भगवान सिंह पौडी

आलरोप है कि कमलपुर संगलाकोटी जनता इंटर कॉलेज में बच्चों की उपस्थिति को लेकर कुछ ज्यादा ही सख्ती की जा रही है।आत्महत्या करने वाले दसवीं के छात्र को भी प्री बोर्ड परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया,जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली।

https://youtu.be/OGUlGAc8pws

जब मीडिया विद्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर पैदल संध्या के गाँव पहुंचा तो पता चला कि संध्या का निकटवर्ती अस्पताल से इलाज चल रहा है और वह लगातार दवा भी ले रही है,उससे विद्यालय में जाकर अपनी मेडिकल रिपोर्ट और बीमारी के बारे में प्रधानाध्यापक संजय रावत से संपर्क किया तो उन्होंने संध्या और उसकी दादी की बात पर कोई भी ध्यान ना देते हुये उसके मेडिकल कागज फेंक दिये।

संध्या को पहले प्री बोर्ड और अब बोर्ड परीक्षा में भी नही बैठने दिया जा रहा है,ऐसे में उसकी दादी को चिंता है कि कहीं संध्या भी परेशान होकर कोई गलत कदम न उठा ले। एक तरफ सरकार”बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ ‘का नारा देकर बेटियों को पढ़ाने का दावा करती है,वहीं पहाड़ की गरीब लड़कियों को पढ़ाई के अलावा घर के काम भी करने होते हैं,ऐसे में उपस्थिति कम होने पर संध्या जैसी बालिकाओं के नाम काट देना और उसे बोर्ड परीक्षा में भी न बैठने देना,विद्यालय के प्रधानाचार्य के असंवेदनशील रवैये को दर्शाता है गौर करने वाली बात ये है कि यह इलाका मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के गृहक्षेत्र का है।

, जिला अधिकारी से उक्त बावत संपर्क करने पर उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल मुख्य शिक्षा अधिकारी को तलब करते हुए विद्यालय के प्रधानाचार्य को अपने कार्यालय में बुलाया है, उनका भी मानना है कि किसी भी हालत में बच्चों का उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिये और बच्चों के साथ संवेदनशील व्यवहार करना चाहिये

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