– कहने को तो उत्तराखंड राज्य 9 नवंबर को पूरे 19 साल का हो जाएगा मगर जो सपने प्रदेश वासियों ने राज्य बनने के बाद देखे थे वो आज भी अधूरे हैं उत्तराखंड वासियों को लगा था कि राज्य बनने के बाद यह विशालकाय पर्वतों का प्रदेश तरक्की की रफ्तार पकड़ेगा और तेजी से विकास कार्य होंगे मगर राजनीतिक उपेक्षा के चलते सबकुछ इसके उलट हुआ और आज भी कई ऐसे गांव हैं जो विकास से कोसों दूर हैं यहां तक कि गांव में पहुंचने के लिए सड़के तक नहीं है। ऐसे ही एक गांव से हम आपको रूबरू कराने जा रहा है जिसकी व्यथा आज तक किसी ने नहीं सुनी:-
शैलेन्द्र सिंह लाल कुआं
हम बात कर रहे हैं चंपावत जिले के डांडा मल्ला ग्राम सभा की जो सुदूर पहाड़ों की तलहटी में बसा हुआ है और यह एरिया हल्द्वानी फॉरेस्ट डिवीजन में आता है। मगर यहां पहुंचने के लिए कई किलोमीटर की लंबी पैदल यात्रा करनी पड़ती है यदि यहां कोई बीमार हो जाए तो उसे भी डोली के माध्यम से सड़क तक पहुंचाया जाता है इसके अलावा जो वन मोटर मार्ग हैं वो बरसात के समय में बंद हो जाते हैं और जब तक उनकी मरम्मत का कार्य पूरा नहीं हो जाता तब तक इन ग्रामीणों को पहाड़ों के बीच बने छोटे रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है ऐसे में जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता है।
लगभग 2000 लोगों की आबादी वाली इस ग्राम सभा में 2 साल पहले ही बिजली पहुंची है जबकि स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है चारों ओर आरक्षित वन क्षेत्र से घिरा होने की वजह से यहां पक्की सड़क भी नहीं बन पा रही है ऐसे में ग्रामीणों ने हल्द्वानी डिवीजन के डीएफओ महातिम यादव से गुहार लगाई है कि वह इस समस्या का निस्तारण करते हुए उनके लिए सड़क बनाने की दिशा में कोई ठोस पहल करें ताकि लोगों को आवाजाही में कोई दिक्कत ना हो।
ग्रामीणों द्वारा लगाई गई गुहार के बाद डीएफओ महातिम यादव ने पूरे क्षेत्र का बारीकी से निरीक्षण किया उन्होंने टकना गूंठ से डांडा मल्ला तक पहाडों में घने जंगलों के बीच लगभग 8 किलोमीटर की पैदल यात्रा की और ग्राम सभा में पहुंचकर ग्रामीणों की फरियाद की सुनी उन्होंने बताया कि ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यहां 15 किलोमीटर की लगभग 15 फीट चौड़ी सड़क बनाए जाने की कवायद चल रही है जिसे जल्द से जल्द धरातल पर उतारने की कोशिश की जा रही है ताकि ग्रामीणों को आवागमन में दिक्कत ना हो और उन्हें सड़क का लाभ मिल सके।
डीएफओ के उनके ग्राम सभा में पहुंचने की जानकारी मिलते ही सभी ग्रामीण ग्राम प्रधान भगवान सिंह बोरा के यहां एकत्र हो गए और डीएफओ स्तर के अधिकारी को अपने समक्ष देखकर खुश नजर आए और उन्होंने सड़क बनाए जाने की गुहार लगाई। इधर डांडा मल्ला ग्राम सभा के प्रधान भगवान सिंह बोरा ने बताया कि उनका गांव शहरी क्षेत्रों से बहुत दूर घने जंगलों के बीच स्थित है और सड़कों के नाम पर यहां पगडंडियों के अलावा कुछ भी नहीं है ऐसे में यहां कोई बीमार, बुजुर्ग या गर्भवती महिला को चिकित्सालय तक पहुंचाने में खासा मशक्कत करनी पड़ती है यदि रास्ता बन जाए तो कम से कम कुछ सुविधाओं में इजाफा होगा उन्होंने उम्मीद जताई है कि डीएफओ महातिम यादव इस दिशा में सार्थक पहल करते हुए ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द सड़क बनवाने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही करेंगे।
19 साल बीत जाने के बाद भी विकास से कोसों दूर चम्पावत जिले की ये डांडा मल्ला ग्राम सभा का उद्धार कब होगा और कब तक यहां सड़क बनेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा पर इतना जरूर है कि राज्य बनाने की लिए जिन आंदोलनकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी उनके सपनों का उत्तराखंड आज भी नहीं बन पाया है शायद यही वजह है कि लोग यहां से पलायन करने को मजबूर हैं।