आदम युग मे जी रहे सर-बड़ियार के 8 गाँव:मेरु रैबार

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विकास से कोषों दूर है यमुना घाटी के सर -बड़ियार पट्टी के 8 गाँव।

गॉव के पास सरुताल है जिसके बाद चीन सीमा सुरु होती है।

कैलाश रावत -पुरोला।
देश और दुनिया के लोग जहाँ चांद और मंगल पर जाने की सोच रहे है वहीं उत्तरकाशी जिले के सीमांत सर-बडियार इलाके में लोग आधार भूत सुविधा के लिए मोहताज है , साफ लफ्जो में कहे कि आदम युग मे जी रहे है तो कोई अतिसंयोक्ति नही होगी।
8 गावो की सड़क से पैदल दूरी अधिक होने के चलते नेता और मंत्री भी इधर का रुख करने से कतराते है
तहसील बडकोट से राजगढ़ी और गंगताड़ी होते हुए सड़क मार्ग से करीब 20 किमी चलने के बाद गंगराली पुल मिलता है, जहाँ से एक सड़क सरनौल के लिए जाती है और दूसरा सर-बड़ियार पट्टी के 8 गांवो का पैदल मार्ग सुरु होता है। करीब 9 से 18 किमी की पैदल दूरी पर चलते हुए अपने आप गाँवो की स्थिति का आभाष होने लगता है।
गंगराली पुल से 9 किमी की दूरी पर पहला गाँव दिंगाडी है, यहाँ से करीब डेढ़ किमी की दूरी पर सर, सर से 4 किमी दूरी पर कफलो , कफलो से 3 किमी पर किमदार, और किमदार से 2 किमी पर पौंटी , गॉल और छानिका तीन गाँव स्थित है।
इन 8 गाँवो के लिए दिंगाडी और सर में एक एक जूनियर हाई स्कूल है जहाँ बच्चे आठवी तक कि पढ़ाई कर सकते है। आठ गांवो का पोस्ट आफिस सरनौल में है जिसे बड़ियार में शिफ्ट करने के लिए लोग वर्षो से मांग कर रहे है। दिंगाडी गाँव मे पानी की किल्लत है शर्दियों में श्रोत का पानी सूख जाता है उसके बाद ग्रामीणों को कई किमी दूर से पानी ढोकर लाना पड़ता है, जबकि किमदार ,पौंटी , गॉल और छिनका में संस्थान की पेयजल लाइन तो है जिन पर बिल भी लिया जाता है किंतु पानी के दर्शन कभी कभी ही होते है।
इन आठ गांवो में 6-7महीने पूर्व विधुतीकरण तो हुआ किन्तु कभी भी पूरे सप्ताह बिजली सतत नही रहती। ग्रामीणों ने बताया कि बिधुत लाइन के मार्ग में आने वाले पेड़ो की लोपिंग की जाय तो लाइन ब्रेक नही होगी और ट्रांसफार्मर भी खराब नही होंगे।
इन 8 गावो की स्वास्थ्य सुविधा का जिम्मा दिंगाडी गाँव मे एक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी के भरोसे है जिसमे डॉक्टर आज तक देखने को नही मिला बस एक फार्मशिस्ट और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी मिल जाता है।
बीमार बुजुर्ग और प्रसूताओं को मेडिकल हेल्प के लिये चारपाई पर सड़क तक लाना पड़ता है जिसमे कुछ ही खुशकिस्मत लोग बडकोट अस्पताल तक पहुच पाते है कुछ 18 किमी के पैदल मार्ग पर ही दम तोड़ने को मजबूर है।
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